For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अनहोनी - (लघुकथा)

अनहोनी - (लघुकथा) –

दीपावली  पूजन की तैयारी हो रही थी!दरवाज़े की घंटी बजी!जाकर देखा,दरवाज़े पर अनवर खान साहब सपरिवार मिठाई का पैकेट लिये  खडे थे!हमारे ही मोहल्ले में रहते थे!मोहल्ले के इकलौते मुसलमान थे!किसी के जाना आना नहीं था!पूरा मोहल्ला एक तरफ़ और खान साहब एक तरफ़!कोई तनाव या टकराव नहीं था! सब शांति से चल रहा था मगर फ़ासले थे!

अचानक ऐसी स्थिति का सामना कैसे करें, जिसके बारे में कभी सपने में भी नहीं सोचा!हमारे कुछ कहने सुनने से पहले खान साहब ने मिठाई हाथ में देते हुए दिवाली की बधाई दे डाली!मज़बूरन हमने भी औपचारिक मुस्कुराहट के साथ स्वागत किया,

"आइये अनवर भाई,आज यह अनहोनी कैसे हुई"!

"गुप्ता जी, यह तो शुरूआत है,असली अनहोनी तो अब होगी"!

"क्या धमाका करने जा रहे हो अनवर भाई"!

"गुप्ता जी, इस दिवाली से हमारे पूरे परिवार ने शाकाहार की क़सम ली है,और इस बार बक़रीद पर पूरे मोहल्ले को  शाकाहारी मीठी ईद वाला भोजन करायेंगे"!

"वाह अनवर भाई, यह हुई ना बात,इसके लिये फ़िर बधाई, हम लोगों ने छोटे से मोहल्ले को ही हिंदुस्तान और पाकिस्तान बना रखा था"!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 854

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on November 17, 2015 at 9:06pm

हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना भट्ट जी!लघुकथा की सराहना और उस पर आपके विचार अत्यंत प्रेरक हैं!पुनः आभार!

Comment by TEJ VEER SINGH on November 17, 2015 at 6:45pm

आदरणीय बरुण सखा जी!आपकी टिप्पणी का मुझे कतई भी बुरा नहीं लगा !विचारों का आदान प्रदान ही हमारे बीच निकटता पैदा करता है!आप निःसंकोच खुलकर,बेबाक तरीके से अपनी राय और विचार मेरी लघुकथाओं पर रखिये, मुझे अच्छा लगेगा!हमारे पाठक और आलोचक ही तो हमारे कार्य के वास्तविक निर्णायक होते हैं!सादर!

Comment by बरुण सखाजी on November 17, 2015 at 11:26am
तेजवीर सिंह सर। अगर असहज लगा हो तो करबद्ध क्षमा। मुझे लघु कथा पर जो महसूस हुआ उस पर यथा बुद्धि बोल दिया। क्षमा।
Comment by TEJ VEER SINGH on November 17, 2015 at 9:52am

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी!बरुण सखा जी का नज़रिया थोडा अलग है!हो सकता है उनका दृष्टि कोण सही हो!पर मैं इस पर कोई बहस करना उचित नहीं समझता!लघुकथा पर आपके विचारों का तहे दिल से स्वागत करता हूं!पुनः आभार!

Comment by TEJ VEER SINGH on November 17, 2015 at 9:31am

हार्दिक आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 15, 2015 at 10:07pm

बहुत अच्छी सकारात्मक सोच वाली एक सार्थक सुन्दर सौहार्द का सन्देश देने वाली लघु कथा है मिलजुल कर रहें एक दुसरे के त्योहारों में शरीक हों शान्ति कायम रखें इस सन्देश से एक मोहल्ला तो क्या पूरे हिन्दुस्तान में अम्नोचैन होगा ..मुहे दुःख है तथा हैरत भी है की वरुण सखा जी को इस लघु कथा में क्या कमी नजर आई ...खैर अपनी अपनी समझ है किसी को गिलास आधा खाली  दीखता है किसी को आधा भरा हुआ|दिल से बधाई आपको इस लघु कथा के लिए | 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on November 15, 2015 at 9:47pm

वाह! .... काश ऐसा ही होता हमारा हिन्दुस्तान!

Comment by TEJ VEER SINGH on November 14, 2015 at 10:40am

हार्दिक आभार आदरणीय ओमप्रकाश जी !आपने लघुकथा को अपना अमूल्य समय दिया!आपकी टिप्पणी सदैव मुझे प्रोत्साहन देती हैं!सादर!

Comment by TEJ VEER SINGH on November 14, 2015 at 10:39am

हार्दिक आभार आदरणीय बरुण सखा जी !आपने लघुकथा को अपना अमूल्य समय दिया!आपकी सोच और विचारधारा का सम्मान करते हुए मैं आपकी टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं करना चाहता!सादर!

Comment by Omprakash Kshatriya on November 14, 2015 at 7:47am

आदरणीय तेज वीर सिंह जी आप धमाका करने से नहीं चुके. इस धमाकेदार खुबसूरत लघुकथा के लिए मेरी ओर से बधाई स्वीकार करे. पूरा परिवार ऐसा कर सकता है.यह हकीकत है. खुबसूरत जज्बात. पुन बधाई .सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service