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"आतंकी सोच"-- (लघु कथा)

"आतंकी सोच"- (लघु कथा)

"अजी सुनते हो, संगीत सोम है न जो उसको धमकी भरा ख़त मिला है .....और..."

"और क्या ? तुम तो समाचारों की सुर्खियां सुनाती भर जाओ"- सुबह सुबह बिस्तर पर पड़े हुए खन्ना साहब ने अपनी पत्नी से कहा।

"और फ़िल्म कलाकारों के घर में लाखा !!!"

"लाखा ?"

"हां 'लाखा'....होंगे किसी गुट के आतंकी !
जूही चावला, जितेन्द्र और अनिल कपूर के घर में 'लाखा' !"

"अरे ! वो 'लाखा' नहीं ' लार..वा' है 'ला..र..वा' डेंगू का लारवा ! मतलब ऐडीज मच्छर के बच्चे !" - खन्ना साहब ने आँखें मलकर टेलीविजन हाइलाइट्स पर नज़र डालते हुए कहा।

"तो क्या हैं तो वैसई !"


"मौलिक व अप्रकाशित"
_शेख़ शहज़ाद उस्मानी

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 25, 2015 at 11:05am
24 सितम्बर, 2015 के एक समाचार पर आधारितhttp://newshunt.com/share/44522185 Source:Webduniya Hindi
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 24, 2015 at 8:16pm
बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीया Pratibha Pande जी हौसला अफज़ाई हेतु
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 24, 2015 at 8:15pm
तहे दिल बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय श्री मिथिलेश वामनकर मेरी इस रचना पर उपस्थिति दर्ज कर प्रोत्साहक टिप्पणी करने के लिए
Comment by pratibha pande on September 24, 2015 at 7:02pm

'लाखा 'और ' ला र  वा'  का ये असमंजस बडा ही रोचक  बना है ,बधाई  इस रचना के लिए आपको आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 24, 2015 at 3:39pm

बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है. हार्दिक बधाई आपको.

कृपया ध्यान दे...

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