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कलाम - तुझ को मेरा सलाम (कविता)

किसी के अब्दुल थे

किसी के तुम कलाम

दृढ़ थे संकल्प तेरे

वहुआयामी कलाम I

माँ भारती के लाल

तुझ को मेरा सलाम I

 

होते हुए भी अर्श पर

भूले न जो थे फ़र्श पर

व्याधि वाधा सांझा कर

दी सदा उन्हें संघर्ष पर

लगाओ पंख अग्नि को

न होंगे कभी तुम नाकाम I

जियो मरो देश के लिए

न होंगे कभी तुम गुलाम I

माँ भारती के लाल

तुझ को मेरा सलाम I

 

विपत्तियों से न डरो

बीच धारा से तरो

नाकामियों को रोंद कर

कर्म ऐसा तुम करो

हो देश का ऊँचा नाम I

युवाओं को दी प्रेरणा

दिए नये नये पयाम I

माँ भारती के लाल

तुझ को मेरा सलाम I

 

जन मन गण नायक

अन्बेषण विधायक

विज्ञान ज्ञान गांठ खोल

शक्ति-विकास गायक

चिंतन दिशा नव सब

नव नव हुए आयाम I

दिखाते थे आँख जो

बदल गए वो निजाम I 

माँ भारती के लाल

तुझ को मेरा सलाम I

"मौलिक व अप्रकाशित "

डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी'

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Comment

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Comment by कंवर करतार on August 3, 2015 at 7:13pm

धन्याबाद डॉ गोपाल जी I

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 1, 2015 at 5:48pm

आ0 कलाम साहिब बेमिसाल थे .आपने उन्हें अपना विषय बनाया  यह् स्तुत्य है .

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