For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ला रहा रवि पालकी

ला रहा रवि पालकी

 

 

खोल कर आकाश के पट

चल पड़ा है सारथी

खिल रहीं मदहोश कलियाँ

ला रहा रवि पालकी

 

भोर में ममता लुटाती

स्वर सजीली रागिनी

आ विराजा श्याम कागा

चल सखी-री जाग-री

 

प्रात का मंचन अनोखा

रश्मियाँ— अप्लावतीं

 

तृप्त तारक चल पड़े

विश्रांति की आगोश में

चाँदनी मुख ढक चली

सब आ गए यूं होश में

 

मौन सपनों को सजाने

चल पड़े सब भारती

 

खिल रहीं हैं पराग कनिका

गा रहे अलि राग में

शीतल मलय बहने लगी

झरने झरे अनुराग में

 

उद्घोष अपना कर रही

भारती उषा जल गागरी

 

छोर अंबर का खुला

बहने लगा रंग लाल सा

बिहाग कुल हँसने लगे

सूरज जला है मशाल सा

 

बुझ गए नभ दीप सारे

पनघट चलीं सब ग्वालिनी ॥

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना मिश्रा बाजपेई  

Views: 713

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kalpna mishra bajpai on August 11, 2015 at 6:23pm
आदरणीया नीरज शर्मा जी आपका आभार /सादर
Comment by Dr. (Mrs) Niraj Sharma on July 26, 2015 at 4:49pm

बहुत सुन्दर गीतिका छंद में लिखा गीत।  भोर का सजीव चित्रण हो आया निगाहों के सामने रचना को पढ़ते हुए। बहुत खूब साधुवाद आ kalpna mishra bajpai . जी।

Comment by kalpna mishra bajpai on July 23, 2015 at 5:28pm

आदरणीय maharshi tripathi जी आपका आभार 

मैं आपके पूछे गए प्रश्नों के अर्थ  लिख रही हूँ 

रश्मियाँ— अप्लावतीं,= सूर्य की किरणें सुनहरे रंग से भरी है 

आप्लावित = भरा हुआ 

विश्रांति =आराम कि शांति में 

पराग कनिका= पुष्प के मध्य में पीले रंग के सूक्ष्म कण । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 23, 2015 at 5:18pm

आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपाई जी, मेरे कहे के अनुमोदन हेतु आभार.

यह भी है कि इस मंच की अन्यान्य प्रस्तुतियां एवं रचनाकार भी आपकी अमूल्य राय की प्रतीक्षा में  है. कृपया उन पर अपनी अमूल्य राय देने की कृपा करे. सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 23, 2015 at 5:10pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपका आभार 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 23, 2015 at 5:09pm

आदरणीय kanta roy  जी आपका हार्दिक आभार 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 23, 2015 at 5:09pm

आदरणीय Samar kabeer जी आपका सादर आभार 

Comment by kalpna mishra bajpai on July 23, 2015 at 5:08pm

आदरणीय Manoj kumar Ahsaas जी आपने सही कहा कि सूर्य का रथ होता है और सारथी चलता हैं 

खोल कर आकाश के पट

चल पड़ा है सारथी

खिल रहीं मदहोश कलियाँ

ला रहा रवि पालकी...........................इन पंक्तियों में सारथी का जिक्र हुआ है ,और ला  रहा रवि का आशय है कि उसके साथ पालकी आ रही है । उम्मीद है आप समझ सकोगे /सादर आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 23, 2015 at 1:16pm

आदरणीया कल्पना जी,इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by kanta roy on July 23, 2015 at 1:16pm
अद्भुत सी रचना लगी मुझे .... गाते हुए रवि पालकी ......... सुंदर शब्दों का संयोजन ..... भोर की उजास लिए रवि की सानिध्य में मानों वातावरण ही काव्यमय हो रहा है । बधाई आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेयी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service