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जीवन का रहस्य

समय छिपा जा सूर्य चक्र में ,जहां दुनिया  सारी डोले

धरती से लेकर आसमान में ,नित नये रहस्य को खोले !

कली के अंदर छिपे फूल  में, अपना नाना रूप छिपाये

घूम- घूम कर मधुकर उपवन में, सुंदर राग सुनाये !

फूल के अंदर छिपे सुगंध में , अमृत के कण घोले

पावन रस को मधुकर पीकर, फूलों से कुछ बोले ।

मधुर प्रेम का संदेश लेकर,जीवन की कड़ी को जोड़े,

चंद दिनो के अपने जीवन में, दुनिया में नव जीवन घोले !

फूल के अंदर छिपे बीज में , अपना सुंदर भविस्य सँजोये,

नीर,समीर धूप से हटकर ,गहरी निंद्रा में सोये ।

मौसम ने जब करवट बदला, बीज ने आंखे खोला,

अंगड़ाई ले बीज जगत में उसने माँ धरती से बोला ।

खुली आँख जब वर्षा ऋतु में , अमित प्यार जग में बरसाए,

जड़ चेतन को जोड़ कड़ी में,पूरे जगत में खुशी लुटाये !

एक प्यारा पौधा छिपा बीज में, दुनिया को नजर न आए ,

गर्मी सर्दी कठिन समय में ,धरती पर जीवन चक्र सँवारे ।

पशु, पक्षी और मानव जीवन में खुशियाँ ले हर रोज पधारे ,

सबका दुख हर एक पल में ,अदृश्य डोर से सबको जोड़े ।

आदि-अंत के सारे बंधन में,जीवन चक्र का नाता जोड़े ॥

 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 22, 2015 at 11:58am

आ० राम आसरे जी

आपके भाव अच्छे है , तुक भी ठीक है बस मात्राओं पर ध्यान रखे . किसी पंक्ति में अधिक मात्रा  है तो किसी में कम . इससे सामान लय  या रिदम  नहीं  बन पाती . सादर .

कृपया ध्यान दे...

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