For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अचानक भड़का दंगा और ऑटो की पिछली सीट पर बैठी बेहद भयभीत युवती । दूर - दूर तक कोई सूरत नहीं बच निकलने की ।अजीब सी कशमकश थी ऑटो छोड़ भागूँ या युवती की मदद करूँ ? जो कि कहीं से भी संभव नहीं दिख रही थी ।लोग और पास , और पास आते जा रहे थे ।सहसा लड़की ने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया । उसकी आँखों में मृत्यु का उतना डर नहीं था जितना अपनी होने वाली दुर्गति का ।बस सिर्फ एक पल था मेरे पास निर्णय लेने को , और उस एक पल में ही मैंने माचिस की तीली सुलगा दी ।ऑटो धू-धू कर जलने लगा । ऊपर उठती लपटें राहत महसूस कर रही थीं , उसने एक आबरू बचा ली थी , बिना मज़हब को जाने ।
मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashi bansal goyal on June 22, 2015 at 4:23pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 आदित्य कुमार जी ।
Comment by Aditya Kumar on June 22, 2015 at 4:21pm

मानवता ही धर्म है ऐसा सन्देश देती हुई  लघु कथा / संस्मरण। बधाई स्वीकार करें 

Comment by shashi bansal goyal on June 22, 2015 at 4:16pm
आद0 कांता जी मुझे प्रसन्नता है आपका सहयोग , मार्गदर्शन और प्रोत्साहन सदा मिलता रहता है ।सादर धन्यवाद एवं आभार ।
Comment by shashi bansal goyal on June 22, 2015 at 4:13pm
आद0 राजेश जी आपकी ये प्रतिक्रिया मेरे लिए कितनी अनमोल साबित हुई बता नहीं सकती । क्योंकि इस दृष्टिकोण से तो मैंने सोचा ही नहीं था ।मैं दिल से आभारी और कृतज्ञ हूँ । सादर ।
Comment by shashi bansal goyal on June 22, 2015 at 4:09pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 गोपाल नारायण जी । आपका सहयोग प्रतिक्रिया के रूप में सदा मिलता है जिससे बहुत प्रसन्नता होती है ।सादर ।
Comment by kanta roy on June 22, 2015 at 10:07am
चंद शब्दों में बहुत भाव उकेरे है आपने आदरणीया शशि बंसल जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2015 at 10:36am

अन्दर तक सिहरन दौड़ गई इस द्रश्य को पढ़कर किन्तु लघु कथा से ज्यादा मुझे ये एक संस्मरण लगा ,खैर  जो भी है इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई शशि बंसल जी .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 20, 2015 at 1:26pm

सन्देश तो मुखर है पर कई सवाल भी  उठ खड़े होते हैं . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
42 seconds ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
32 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service