For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"बाऊजी ! बच्चों के इम्तहान शुरू हो रहे हैं ।आपकी बहू चाहती थी , बेहतर होता अगर आप कुछ रोज़ भाईसाहब के यहाँ हो आते ।"
" पर बेटा ! अभी तो समय पूर्ण होने में दो माह बाकी हैं ।"
" वो तो ठीक है , पर आप तो जानते हैं , घर में एक ही अतिरिक्त कमरा है , वो भी ......।"
" कबाड़ी वाला ....कबाड़ी ....। बाऊजी ! कुछ कबाड़ है क्या ? "
"हाँ है तो.... शायद तुम्हारे बाजार में भी इसका कोई मोल न होगा...।"
मौलिक व अप्रकाशित ।

Views: 965

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 11, 2015 at 6:17pm

आ० शशि जी

आ० विनय जी का सुझाया विकल्प बहुत  ही सुन्दर है और शिल्प की  दृष्टि से भी बहुत प्रभावी है आप भविष्य के लिए इससे मार्ग दर्शन अवश्य लें . सादर .

Comment by shashi bansal goyal on June 11, 2015 at 6:09pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 रीता जी ।
Comment by Rita Gupta on June 11, 2015 at 5:45pm

 बधाई शशि जी ,एक एक शब्द ने अपना रोल कथा में बाखूबी निभाया है .सुंदर लघु कथा .

Comment by shashi bansal goyal on June 11, 2015 at 4:50pm
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद आद0 डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी एवं आदरणीय विनय जी । आपने मेरी रचना को अमूल्य समय एवं सुझाव दिया इसके लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ । मेरे पास गुणीजनों के दो कीमती सुझाव हैं और दोनों ही बहुत सार्थक है । दोनों गुणीजनों का मान भी मना रहे और दुसरे सदस्य आपके इन बहुमूल्य सुझावों को भी जान सके इसलिए मैं अन्त को यथावत रखते हुए आपकी सुझावों को संज्ञान में ले रही हूँ । कृपया इसे मेरी धृष्टता न समझकर आप दोनों के प्रति विनम्र सम्मान समझे । कहते समय यदि कुछ गलत लगे तो कृपया नौसिखिया समझ कर माफ़ कर दीजिये । सादर ।
Comment by विनय कुमार on June 11, 2015 at 2:48pm

बहुत उम्दा लघुकथा , बधाई आदरणीया शशि बंसल जी | बस एक सुझाव , अंतिम पंक्ति ऐसी भी हो सकती है
// बाउजी ने बेटे की ओर कातर निगाहों से देखा , बेटा अभी भी कबाड़ी की ओर देख रहा था //..

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 11, 2015 at 11:31am

अंत में कुछ अपार्थ सा रह गया . विषय अच्छा था .भाषा के विन्यास में कुछ बहक सा गया.

" कबाड़ी वाला ....कबाड़ी ....। बाऊजी ! कुछ कबाड़ है क्या ? "
" हाँ है तो पर जब बेटा ही  मोल नहीं  समझ सका तो फिर ---?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service