For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे मिश्रा जी ,इतना सामान कहाँ ले जा रहे हैं "-पड़ोस के एक सज्जन ने पूछा |

"कुछ नही ,भाई रमेश ,मेरे बेटे का बी.टेक में सिलेक्शन हो गया है न ,उसे हास्टल  छोड़ने जा रहा  हूँ"-मिश्रा जी ने बड़े गर्व से कहा |

"देखो ,बेटे ,वहां सभी गन्दी चीज़ों से दूर रहना ,अब तक तो हम तेरे साथ थे ,अब तुझे खुद ही सब कुछ करना होगा "-बेटे को समझाते हुए मिश्रा जी ने कहा |

बेटा  जो अभी  कच्ची मिटटी था  ,अपने माँ बाप से कभी दूर नही हुआ आँखों में आंसू भरकर बोला "जी,पिता जी"

इतना कह कर बेटा हास्टल के लिए रवाना हुआ |

 4  साल बाद मिश्रा जी अपनी पथराई आँखों से बेटे के उज्जवल भविष्य की कल्पना कर रहे थे ,तभी एक ऑटो आकर रुकी | मिश्रा जी का धयान उस तरफ गया | ऑटो से उनका बेटा  तो निकला पर उज्जवल भविष्य की जगह  'जुबान पे गाली और ,हाथों में शराब की बोतल' जरुर थी  |

"मौलिक व अप्रकाशित "

Views: 746

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2015 at 1:25am

इस प्रस्तुति पर मिले सार्थक सुझावों को स्वीकार कर तदनुरूप परिवर्तन करें  भाईजी. हार्दिक शुभकामनाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 25, 2015 at 1:51am

आदरणीय महर्षि भाई जी इस प्रस्तुति हेतु बधाई 

पंच लाइन पर पुनर्विचार निवेदित है 

Comment by maharshi tripathi on June 17, 2015 at 7:06pm

आ. somesh kumar जी ,,,रचना आपको जेट राकेट से लगी इसके लिए ,,,,,,छमाप्रार्थी हूँ ,,,आ.बड़े भाई जी आगे से आपकी बातों का ध्यान रखूँगा ,,,, सभी गुणीजन रचना पर अपनी प्रतिक्रिया यूँ ही देते रहे |

Comment by maharshi tripathi on June 17, 2015 at 7:01pm

आ. kanta roy जी ,,आजकल संस्कार की नीव कितनी भी मजबूत हो पर गलत सस्न्स्कृत उस पर भारी पड़ती है ,,,आ. VIRENDER VEER MEHTA जी से सहमत हूँ |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 13, 2015 at 9:38pm

प्रिय भाई महर्षि...लघुकथा का सुन्दर प्रयास हुआ है..हार्दिक बधाई..जैसा कि सोमेश भाई ने मार्गदर्शन किया है --''लिखें,गढ़े फिर प्रस्तुत करें'' इस को जरूर समझिएगा!!

Comment by somesh kumar on June 10, 2015 at 5:14pm
कहानी जेट रॉकेट सी लगी,लिखें,गढ़े फिर प्रस्तुत करें
Comment by Shubhranshu Pandey on June 10, 2015 at 3:28pm

आदरणीय महर्षि जी, 

सुन्दर भाव से लिखी गयी कथा. लेकिन ऎसा लगता है कि एक बार इस कथा को जाब टेबल पर पुनः रखा जा सकता है. 

सादर.

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 10, 2015 at 3:25pm

आदरणीय महर्षि जी ..आपकी रचना पढ़कर सोच रहा हूँ की क्या गुजरती है ऐसे हर पिता पर ...लेकिन आज कल यही हो रहा है ..जो अत्यनत दुखद है ..इस चिंतन के लिए  तहे दिल बधाई सादर 

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on June 10, 2015 at 10:50am

सार्थक कथा आदरणीय मह्रिषी त्रिपाठी जी ....सादर बधाई !.

घर से दूर बाहर की संगत  का असर संस्कारों पर भी अक्सर  भारी  पड़ जाता है. 

Comment by kanta roy on June 9, 2015 at 11:07am
बच्चे कहीं भी जाये घर के संस्कार उसके जीवन में सुरक्षा कवच की तरह ही होते है .... अगर संस्कारों की नींव मजबूत हो तो कोई भी संगत उसे बिगाड़ नहीं सकती है .... गर वो बिगड़ा है तो कहीं संस्कार ही कमजोर रहें होंगे । इस प्रयास के लिए बधाई आपको आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service