For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" मैंने तो बिना पैसे दिए ही शॉपिंग कर ली | वो बाजार में एक छोटी सी किराने की दुकान है न , आज वहां चली गयी थी | सामान लेने के बाद उसने पैसे लेने से इंकार कर दिया, बोला कि वो आपको जानता है और इसलिए पैसे नहीं लेगा "|
वो सोच में पड़ गया , अपने गाँव का छोटी जात का दुकानदार , जिसकी बेटी की शादी में १०१ रुपये देकर उसने अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली थी |
आज वो अपने आप को बहुत छोटा महसूस कर रहा था |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 27, 2015 at 2:56pm

बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी , बहुत बहुत आभार.

Comment by Shubhranshu Pandey on May 27, 2015 at 2:21pm

आदरणीय विनय जी

सुन्दर कथा. दूसरों को छोटा बनाते और बताते कब स्वय्ं छोटा हो जाता है पता ही नहीं चलता.

सादर.

Comment by विनय कुमार on May 25, 2015 at 12:57am

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी । आप जैसे संजीदा लेखक से ऐसी टिप्पणी मिलना बहुत सुकून दे जाता है । सादर..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 24, 2015 at 11:44pm

बढ़िया बहुत बढ़िया 

दिल खुश कर दिया 

मानवीय सदगुणों की पराकाष्ठा का बहुत सुन्दर चित्रण दिल को भा गया. विडम्बनाओं और विसंगतियों के बीच नैतिक मूल्यों को उभरती इस सकारात्मक लघुकथा के लिए बहुत बहुत आभार 

Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 1:27am

बहुत बहुत आभार आदरणीय विनोद खगनवाल जी आपके उत्साह बढ़ाने वाले शब्दों के लिए..

Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 1:26am

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।

Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 1:25am

बहुत बहुत आभार आदरणीय वीर मेहता जी ।

Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 1:21am

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी । बिलकुल सच कहा आपने..

Comment by विनोद खनगवाल on May 23, 2015 at 4:05pm
आदरणीय विनय कुमार जी अच्छा काम किया हुआ कभी ना कभी लोट कर हमारे पास वापस जरूर आता है इसलिए यह काम करते रहने चाहिए। बधाई स्वीकार करें एक अच्छी लघुकथा के लिए।
Comment by Shyam Narain Verma on May 23, 2015 at 12:42pm
बहुत बढ़िया कहानी , हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
3 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service