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"देख बड़ी बहू तूने छोटी बहू को लेकर डाॅक्टरो के बहुत चक्कर लगा लिये, इससे कुछ नही होगा?" हस्पताल से देवरानी का चेकअप कराकर रमा घर लौटी ही थी कि सासु माँ शुरू हो गयी। "अब तो स्वामी जी की दया हो तो ही छोटी की गोद में किलकारी गूँजेगी।" सासु माँ का बोलना जारी था।
"कल ही स्वामीजी से बात करके ले जाऊँगी इसे उनके आश्रम में 'सप्त रात्रि' की पूजा के लिये।"
"बड़ी बहू अगर तू भी पूजा छोड़ बीच में नही भाग आयी होती तो उन के आर्शीवाद से आज तेरी गोद भी...........।
"बस कीजिये माँजी।" रमा पुरानी बाते याद कर क्रोध में आ गयी। "अब कहीं नही जायेगी छोटी, अब जाना है तो इसके पति को अपने चेकअप के लिये। छोटी को अपनी संतान चाहिये न कि समाज को दिखाने के लिये वंश चलाने वाली आर्शीवादी औलाद।"

"विरेन्दर वीर मेहता"
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 11, 2015 at 5:32pm

आदरणीय ओमप्रकाश जी प्रोत्साहन के लिए.... आप का हार्धिक आभार .....

Comment by Omprakash Kshatriya on May 3, 2015 at 9:07pm

संतान के लिए आशीर्वाद , वह भी महात्मा का . शानदार लघुकथा.

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 2, 2015 at 6:13pm

 अर्चना त्रिपाठी जी...आशीर्वादी  औलाद कथा पर समय देने और मूल्यवान कमेंट्स करने के लिये तहे दिल से आभार........

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 2, 2015 at 6:11pm

"आशीर्वादी  औलाद"  कथा पर जोर दार कमेंट्स करने के लिए शुक्रिया विवेक झा जी....

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 2, 2015 at 6:08pm

हार्दिक आभार चंद्रेश कुमार जी कथा पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए.... ...

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on May 2, 2015 at 6:06pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुजजी ..... गिरिराज भंडारी जी ..... वंदना जी  और  निधि अगरवाल जी ..... आप लोगो का हार्धिक धन्यवाद मेरी कथा "आशीर्वादी औलाद"  पर मूल्यवान प्रतिकिर्या देने के लिए आप लोगो का हार्धिक धन्यवाद!

Comment by Archana Tripathi on May 2, 2015 at 3:44pm
अगर हर स्त्री बड़ी बहु से तेवर में आ जाय तो इन ढोंगी बाबाओं को अपनी दूकान समेटनि ही पड़ जायेगी ।
बेहतरीन लघु कथा बधाई आदरणीय वीर मेहता जी
Comment by Vivek Jha on May 1, 2015 at 1:06pm

बहुत खूब वीर मेहता जी, बड़ी बहू के तेवर को मेरा जोरदार सैल्यूट है 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on April 26, 2015 at 12:38pm

बहुत बढ़िया लघुकथा, सार्थक और सटीक! "आशीर्वादी  औलाद" शब्द ने हिला दिया आदरणीय सर!

Comment by Nidhi Agrawal on April 10, 2015 at 4:05pm

एकदम सही और सटीक बात.. इन सभी अंधविश्वासों और मिथ्या वंश परंपरा को कहीं तो टूटना होगा. 

पुरुष को अपने पुरुष होने के दंभ से हटना होगा 

सुन्दर लघु कथा अपने आप में पूर्ण सन्देश देती हुई 

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