For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मेहमान' 'जान' गोरखपुरी

ना हाथों में कंगन,
न पैरों में पायल,
ना कानो में बाली,
न माथे पे बिंदियाँ
कुदरत ने सजाया है उसे!!

न बनावट,ना सजावट
न दिखावट,ना मिलावट
गाँव की मिट्टी ने सवारा है उसे!!

ये बांकपन ,ये लड़कपन
चंचल अदाओं में भोलापन,
जवानी के चेहरे में हय!....
हँसता हुआ बचपन!!
वख्त ने जैसे....संजोया है उसे!!

उसकी बातें सुनती हैं तितलियाँ
उसीके गीत गाती हैं खामोशियाँ
हँसी पे जिसकी फ़सल लेती है अंगड़ाईयाँ
उसके बगैर,बहारों में है वीरानियाँ..!!
फ़िजाओं..हवाओं...घटाओं...हर किसी से है दोस्ती उसकी
हर एक ने समझा है उसे!!

कितना खुबसूरत,कितना दिलकश
कितना प्यारा है वो अनजान!
जो है मेरी दुनिया में..
आया चन्द दिनों का मेहमान!!
क्या जाने वो......
किसी ने कितना सोचा है उसे!!

‘मौलिक व् अप्रकाशित’
  ‘जान’ गोरखपुरी
   

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 15, 2015 at 9:32am

आदरणीय कृष्णा भाई , बहुत सुन्दर बात कही है , सुन्दर अभिव्यक्ति ! बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 14, 2015 at 9:15pm

सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 14, 2015 at 8:55pm

आदरणीय खुर्शीद सर!रचना  पर आपकी प्रतिकिया पाकर मन हर्षित हुआ!बहुत बहुत आभार!!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 14, 2015 at 8:53pm

आ० हरी प्रकाश दूबे सर! गीत को सराहने के लिए बहुत बहुत आभार!!

Comment by khursheed khairadi on March 14, 2015 at 9:43am

उसकी बातें सुनती हैं तितलियाँ
उसीके गीत गाती हैं खामोशियाँ
हँसी पे जिसकी फ़सल लेती है अंगड़ाईयाँ
उसके बगैर,बहारों में है वीरानियाँ..!!
फ़िजाओं..हवाओं...घटाओं...हर किसी से है दोस्ती उसकी
हर एक ने समझा है उसे!!

आदरणीय जान साहब , सुन्दर प्रस्तुति है ,सादर अभिनन्दन |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 13, 2015 at 5:46pm

भाई कृष्ण मिश्र जी,सुन्दर भाव लिए इस सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई आपको !

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:17pm

आदरणीय शिज्जू सर!बहुत बहुत शुक्रिया! आभार!!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:15pm

आ० मोहन सेठी सर! बहुत बहुत आभार!!इसी प्रकार अपनी नज़र मुझ पर बनाये रखे!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:13pm

आदरणीय गणेश जी बागी सर! आपको रचना पसंद आई मेरा सौभाग्य है!! अपना स्नेह,मार्गदर्शन इसी प्रकार बनाये रक्खे सर!सादर!

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 13, 2015 at 4:11pm

आदरणीय dr.vijai shanker सर बहुत बहुत आभार!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"आ. भाई आजी तमाम जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
"आदरणीय अमन सिन्हा जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर। ना तू मेरे बीन रह पाता…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल -- दिनेश कुमार ( दस्तार ही जो सर पे सलामत नहीं रही )
"आदरणीय दिनेश कुमार जी बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। इस शेर पर…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service