For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- सुब्ह से शाम हम कमाते हैं

सुब्ह से शाम हम कमाते हैं
तब भी मुश्किल से घर चलाते हैं

ये विरासत में हमको सीख मिली
हम तो मेहनत की रोटी खाते हैं

शाम होते ही हम परिन्दों से
लौट कर अपने घर को आते हैं

जिनके सर पर खुदा का हाथ है वो
आँधियों में दिये जलाते हैं

रोज़-ए-महशर की छोड़ कर चिन्ता
रिन्द मयखाने रोज़ जाते हैं

मुझको दुनिया सराय लगती है
लोग आते हैं लोग जाते हैं

हम तो फुरसत में दिल के छालों को
शे'र के पर्दों में छुपाते हैं

दर्द -ए-ग़म क्यूँ किसी पे हो ज़ाहिर
हम यही सोच मुस्कुराते हैं

चाँद तारे 'दिनेश' सब हमको
उस खुदा की ज़िया दिखाते हैं

-- दिनेश कुमार २०/०२/२०१५

( मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 758

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on February 23, 2015 at 9:42am

मुझको दुनिया सराय लगती है
लोग आते हैं लोग जाते हैं

हम तो फुरसत में दिल के छालों को
शे'र के पर्दों में छुपाते हैं

दर्द -ए-ग़म क्यूँ किसी पे हो ज़ाहिर
हम यही सोच मुस्कुराते हैं

आदरणीय दिनेश जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सभी अशआर दिल को छू गये |मक्ते पर विशेष बधाई स्वीकार करें |आपकी शायरी हमेशा दिल पर असर डालने वाली होती है |सादर अभिनन्दन |

Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:55pm
आदरणीय Dr. Vijai Shanker सर जी, हार्दिक आभार।
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:54pm
हौसला अफजाई का शुक्रिया भाई सर्वेश कुमार मिश्र जी।
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:52pm
भाई सूबे सिंह सुजान जी, कोशिश आप को अच्छी लगी, यह जान कर खुशी हुई है। तारीफ़ का शुक्रिया।
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:49pm
भाई ajay sharma जी, हार्दिक आभार।
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:37pm
आदरणीय समर कबीर सर जी, आप मुझे शायर कह कर शर्मिंदा कर रहे हैं। ये सिर्फ़ तुकबंदी है सर जी, जो कि मैं कबूल करता हूँ कि सोच विचार कर की गई है। आप की बात से मैं भी सहमत हूँ कि एक फ़नकार का यह अख़लाक़ी फ़र्ज़ होता है कि वह किसी ग़ज़ल में कोई जरा सा भी नुक़्स देखे तो फ़ौरन उसकी निशानदही करे। उम्मीद है मुझे आप का सहयोग रूपी आशीर्वाद मिलता रहेगा।
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:26pm
आपकी स्नेहिल सराहना के लिये बहुत बहुत शुक्रिया , आदरणीय मिथिलेश भाई ॥
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:23pm
हार्दिक आभार सोमेश कुमार भाई जी।
Comment by दिनेश कुमार on February 21, 2015 at 10:20pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज सर जी, हौसला बढ़ाने के लिये हार्दिक आभार।
Comment by Dr. Vijai Shanker on February 21, 2015 at 2:25am
दर्द -ए-ग़म क्यूँ किसी पे हो ज़ाहिर
हम यही सोच मुस्कुराते हैं ॥
सुन्दर , बधाई ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service