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किसी का कभी गम लिया होता..(ग़ज़ल 'राज')

122  122   122  2

कभी जिन्दगी को जिया होता

ख़ुदा का अदा शुक्रिया होता

 

मुकम्मल नई इक ग़ज़ल होती

अगर अश्क़ हँस के पिया होता

 

फ़लक चूमता ये कदम तेरे

कोई काम ऐसा किया होता

 

बिखरती न गिरती दुआ रब की

अगर चाकदामन सिया  होता

 

कई रास्ते  खुल गए होते

किसी का कभी गम लिया होता

 

कहाँ काटता यूँ अकेलापन

किसी को सहारा दिया होता

 

है क्या जीस्त खानाबदोशों की

ठिकाना न जिनका ठिया होता 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 788

Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 8, 2015 at 12:46pm

आ० हरि प्रकाश जी,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ ,इस उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल से आभारी हूँ.  

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 10:09pm

आदरणीया राजेश  कुमारी जी सुन्दर रचना हार्दिक बधाई ये पंक्तियाँ विशेष प्रभावित कर रही हैं ..

.// है क्या जीस्त खानाबदोशों की

ठिकाना न जिनका ठिया होता//... ! सादर  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2015 at 8:49pm

आ० खुर्शीद जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ इस होंसलाफ्जाई का तहे दिल से शुक्रिया .

Comment by khursheed khairadi on February 7, 2015 at 11:15am

फ़लक चूमता ये कदम तेरे

कोई काम ऐसा किया होता

 

बिखरती न गिरती दुआ रब की

अगर चाकदामन सिया  होता

 आदरणीया राजेश कुमारी जी ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2015 at 8:36pm

जितेन्द्र भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई ,तहे दिल से शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2015 at 8:36pm

सोमेश भैया,इस होंसलाफ्जाई का तहे दिल से शुक्रिया.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2015 at 8:35pm

आ० श्याम नारायण वर्मा जी ,तहे दिल से शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2015 at 8:34pm

मिथिलेश वामनकर जी,ग़ज़ल आपको पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार 

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2015 at 8:33pm

सर्वेश कुमार जी बहुत- बहुत शुक्रिया. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2015 at 8:32pm

आ० डॉ० विजय शंकर जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ बहुत बहुत शुक्रिया.  

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