For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : वक़्त भी लाचार है.

** ग़ज़ल : वक़्त भी लाचार है.

2122,2122,212

आदमी क्या वक़्त भी लाचार है.

हर फ़रिश्ता लग रहा बेजार है.

आज फिर विस्फोट से कांपा शहर.

भूख पर बारूद का अधिकार है.

क्यों हुआ मजबूर फटने के लिए.

लानतें उस जन्म को धिक्कार है.

औरतों की आबरू खतरे पड़ी,

मारता मासूम को मक्कार है.

कर रहे हैं क़त्ल जिसके नाम पर,

क्या यही अल्लाह को स्वीकार है.

कौम में पैदा हुआ शैतान जो,

बन मसीहा आ गया गद्दार है.

नेकियाँ हर धर्म के उपदेश में,

बदनुमा किस धर्म में किरदार है.

पाक दामन साफ़ हो अपना जिगर,

छूत रोगी घर घुसे बेकार है.
**हरिवल्लभ शर्मा.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 878

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harivallabh sharma on January 10, 2015 at 10:07pm

आदरणीय "बागी" जी ग़ज़ल पर आपका अमूल्य अभिमत मिला,.

आज फिर विस्फोट से कांपा शहर.

भूख पर बारूद का अधिकार है...."भूख पर"...बारूद के अधिकार.. से तात्पर्य था ...जो बारूद बाँध कर आ रहे हैं..चन्द रुपयों की लालच में ये कार्य करने को मजबूर हैं..उनकी जान के बदले उनके परिजन को पैसे भेज दिए जाते हैं...पेट भरने के लिए निकले लोग ही इसके शिकार होते हैं..विस्फोट में खाने कमाने निकले लोग ही अक्सर मरते हैं..दूसरा शेर वास्तव में स्वतंत्र पढने में वह बात नहीं कह पा रहा ..उसके लिए प्रयास करता हूँ ..सादर...

Comment by somesh kumar on January 10, 2015 at 9:57pm

समसामयिक स्थितियों पर सुंदर गज़ल ,निश्नदेह तीसरा शे'र कुछ अर्थ-नहीं दे रहा और दुसरे में हर जगह से अर्थ में व्यापकता मिलती है ,बाकी आप के सुंदर प्रयास पर बधाई |

Comment by harivallabh sharma on January 10, 2015 at 9:50pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपका प्रोत्साहन निरंतर उपलब्धि है..हार्दिक आभार.सादर.

Comment by harivallabh sharma on January 10, 2015 at 9:49pm

आदरणीय gumnaam pithoragarhi जी ग़ज़ल पर आपका स्नेह मिला हार्दिक आभार ..सादर.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 10, 2015 at 9:48pm

आज फिर विस्फोट से कांपा शहर.

भूख पर बारूद का अधिकार है.............भूख पर ? बात कुछ बन नहीं रही, 

अगर ऐसे कहें ....हर जगह बारूद का अधिकार है.

क्यों हुआ मजबूर फटने के लिए.

लानतें उस जन्म को धिक्कार है........आदरणीय एक शेर खुद में पूर्ण होना चाहिए, यदि कोई केवल इस शेर को पढ़े तो कोई अर्थ नहीं निकाल पायेगा, यह शेर भर्ती का लगा मुझे.

बाकी सभी अशआर एक से बढ़कर एक, अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई कुबूल करें आदरणीय हरिबल्लभ शर्मा जी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 10, 2015 at 9:33pm
इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई सर।
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 10, 2015 at 9:32pm
कर रहे हैं क़त्ल जिसके नाम पर,

क्या यही अल्लाह को स्वीकार है.

वाह बहुत खूब
Comment by harivallabh sharma on January 10, 2015 at 9:23pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, आपका अनुमोदन मिला,स्नेहिल हौसला अफजाई हेतु हार्दिक आभार..सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 10, 2015 at 8:44pm

आदरणीय हरि भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , सभी शे अर प्रभावित करते हैं , आपको दिली बधाई ।

Comment by harivallabh sharma on January 10, 2015 at 7:54pm

आदरणीय Hari Praksh Dubey जी आपने ग़ज़ल पर हौसला अफजाई की दिली शुक्रिया ..सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service