For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में लड्डू फूटा (लघुकथा)

"भैया डीजल देना"

"कितना दे दूँ भाईसाब ?"
"अरे भैया दे दो दस पन्द्रह लिटर, देख ही रहे हो आजकल लाईट कितनी जा रही है|  रोज-रोज दूकान के चक्कर कौन लगाये|"
"हा भाईसाब इस सरकार ने तो हद कर दी है|" जैसे उसके दुःख में खुद शामिल है दूकानदार
शाम को वही दूकानदार आरती करते वक्त- "हे प्रभु अपनी कृपा यूँ ही बनाये रखना| यदि साल भर भी ऐसे ही सरकार को बुद्धि देते रहे तो बच्चे की पढ़ाई पूरी हो ही जायेगी प्रभु"

**********************************************

सविता मिश्र

"मौलिक व अप्रकाशित"


Views: 995

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on September 26, 2015 at 2:09pm

मन में लड्डू फूटा (लघुकथा)

"भैया डीजल देना"
"कितना दे दूँ भाईसाब ?"
"अरे भैया गैलेन भर दो, देख ही रहे हो आजकल लाईट कितनी जा रही है| रोज-रोज दूकान के चक्कर कौन लगाये|"
"हा भाईसाब इस सरकार ने तो हद कर दी है|" जैसे उसके दुःख में खुद शामिल है दूकानदार|

उसके जाते ही वही दूकानदार आरती करते वक्त- "हे प्रभु अपनी कृपा यूँ ही बनाये रखना| यदि साल भर भी ऐसे ही सरकार को बुद्धि देते रहे तो बच्चे की पढ़ाई पूरी हो ही जायेगी प्रभु" Savita Mishra सविता मिश्र

Comment by savitamishra on October 18, 2014 at 12:42pm

दिल सी शक्रिया गीत भाई आपका

Comment by savitamishra on October 18, 2014 at 12:40pm

आदरनीय सौरभ भैया शक्रिया अह्दिल स ...दाल म छोंक लगा लिए है मतलब न ...सादर नमस्त ...e बटन नहीं दब रही बहुत कोशिश के बाद यी लिख पा रहे

Comment by savitamishra on October 18, 2014 at 12:37pm

बहुत बहुत शुक्रिया आपका मुकर्जी भैया... सादर

Comment by savitamishra on October 18, 2014 at 12:27pm

राजेश दी सादर नमस्ते ...दिल स आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 18, 2014 at 9:11am

आदरणीया सविता जी, बहुत ही सही विषय पर आपने लघुकथा साझा की है. आज के समय में बस अपनी दूकान चलना चाहिए..चाहे कैसे भी. समस्यायों से किसी को कोई मतलब नहीं.  बहुत-बहुत बधाई आपको प्रस्तुति पर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 18, 2014 at 6:53am

बहुत खूब !  लघुकथा का व्यंग्य वाकई छन्न से लगता है..

हार्दिक बधाईआदरणीया सविताजी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 18, 2014 at 1:56am
//यदि साल भर भी ऐसे ही सरकार को बुद्धि देते रहे तो बच्चे की पढ़ाई पूरी हो ही जायेगी प्रभु"// रचना के इस अंतिम वाक्य में पूरी लघुकथा का मर्म छुपा है. कालाबाज़ारी करता दुकानदार अंधेरे की कामना करता है जिससे उसका अपना घर रोशन हो सके. तिर्यक व्यंग्य का अनूठा निदर्शन. आदरणीया आपको इस भावाभिव्यक्ति के लिए अभिनंदन. सादर.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 17, 2014 at 8:22pm

बहुत सुन्दर लघुकथा इसी को कहते हैं कहीं ख़ुशी कहीं गम ,किसी के लिए अँधेरा किसी का सवेरा | हार्दिक बधाई आपको |

Comment by savitamishra on October 17, 2014 at 8:05pm

दिल सी शक्रिया श्याम भाई आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
6 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
33 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
10 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service