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हमारे पास जो आता

हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है

हमारी जिन्‍दगी में क्‍यों अधेरा ही रहे छाया
मिले न चैन दिल को क्‍यों भटकती है मेरी काया
न कोई दो कदम चल कर हमें जीना सिखाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

न नदियों को कभी देखा मिलाते दो किनारो को
बचाते फूल को मैने नहीं देखा बहारो को
जिसे हम खास कहते है वही हमको मिटाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

हमे लगता है डर भी अब किसी के पास आने से।।29
बसा कर दिल में अब उसको हमें अपना बनाने से।।29
न बतलाये कभी हमको हमें वो क्‍यों सताता हैं
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

 मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on October 4, 2014 at 9:08pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है नमन स्‍वीकार करें आदरणीय Sulabh Agnihotri जी

Comment by Akhand Gahmari on October 4, 2014 at 9:08pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है नमन स्‍वीकार करें आदरणीय गणेश जी बागी जी

Comment by Akhand Gahmari on October 4, 2014 at 9:07pm

आपके उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन के सदैव आकांक्षी है नमन स्‍वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 4, 2014 at 8:07pm

सुन्दर भावपूर्ण गीत बहुत खूब आ० अखंड गहमरी जी हार्दिक बधाई आपको. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2014 at 8:36am

इस प्रयास को प्रोत्साहित करते हुए और बेहतर की उम्मीद है, बधाई आदरणीय गहमरी जी।

Comment by Sulabh Agnihotri on October 2, 2014 at 8:52pm

न नदियों को कभी देखा मिलाते दो किनारो को
बचाते फूल को मैने नहीं देखा बहारो को
जिसे हम खास कहते है वही हमको मिटाता है
रहे जलता हमारा दिल मगर वो मुस्‍कुराता है
हमारे पास आता जो वही दिल तोड़ जाता है

वाह ! बहुत सुन्दर ।

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