For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदमी (प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा )

आदमी 
---------------
ऊँची ऊँची अट्टालिकाएं
बौने लोग
विकृति और स्वभाव
एक दूजे के
पर्यायवाची

चाहरदीवारी के मध्य
शून्य
वर्जनाओं के टूटने का
उदघोष
खामोशी से सुनते हुए
ध्वनि प्रतिध्वनि
संज्ञा शून्य

आहत भावनाये
रिसता खून
अँगुलियों से चाटते हुए
शायद
ये भी नमकीन है
अपनों के लहू जैसा

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा
मौलिक /अप्रकाशित
२०.०४.२०१४

Views: 1180

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Savitri Rathore on May 8, 2014 at 11:28pm

आ ० प्रदीप सर, सादर नमस्कार !
इतनी सटीक और यथार्थवादी रचना हेतु बधाई !

Comment by MAHIMA SHREE on May 8, 2014 at 8:42pm

आदरणीय प्रदीप सर , नमस्कार

बहुत ख़ुशी हुयी देख आपकी रचना को महीने की सर्वश्रेठ रचना के सम्मान से नवाज़ा गया है .. बहुत -२ हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ...सादर

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 8, 2014 at 6:42pm

बहुत सुंदर रचना आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी !!

Comment by Meena Pathak on May 7, 2014 at 11:20pm

बहुत ही सुन्दर रचना .. बधाई आप को | सादर 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2014 at 12:48pm

आदरणीय सिंह साहब जी 

सादर 

आप ही तों हैं जो सब जानते हैं 

कैसा भी हो समय मेरा पहचानते हैं 

आपका भी अभिनंदन 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2014 at 12:47pm

स्नेही विन्दु जी 

सादर 

बढ़िया बनाने का प्रयास है. 

ये आप बीती है , शब्द कभी रहे नही मेरे पास . 

आपने महसूस किया इतना ही काफी है . 

आभार 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 6, 2014 at 11:31am

सत्य को चित्रित करती रचना आदरणीय कुशवाहा जी! सादर अभिनन्दन!

Comment by Vindu Babu on May 6, 2014 at 5:08am

आदरणीय कुशवाहा सर:

कविता अच्छी बनी है...सोचने को प्रेरित करती है।

आपको हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति के लिए।

सादर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 5, 2014 at 2:13pm

आदरणीया कुंती दी जी 

aapkआ स्नेह है सादर 

Comment by coontee mukerji on May 5, 2014 at 1:38am

बहुत सुंदर रचना है....हार्दिक बधाई. भाई साहब.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service