For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी त्रिवेनियाँ...

 

 

 1 .  एक को समझाऊँ तो दूसरी रोने लगती है ,
       थक -सा गया हूँ सबको मनाते मनाते ,
       
       ये तमन्नाओं का कटोरा कभी भरता ही नहीं |
 
2 .   मैंने छिपा लिया उन्हें मुट्ठियों में मोती समझकर ,
       तुमने पोंछ दिया हथेली से पानी कहकर ,
      
       या खुदा ! आंसूओं का मुकद्दर भी जुदा-जुदा होता है ?
 
3 .  ना जाने क्या चुभता रहा रात भर आँखों में ,
      मसलते मसलते लाल हो गईं आँखें मेरी ,
      
      सुबह धोईं जो शबनम से बूंदों के साथ चाँद निकला | 
 
4 .  तेरे लिए अग़र बाँध भी दूं सागर को ,
      क्या मिलेगा इन बेकाबू जज़्बातों को कैद कर ,
      
      दरवाज़े से टकराकर लहरें शोर मचाती रहेंगी  |
 
5 .  जाऊं कितना भी दूर तुमसे किसी भी दिशा में ,
      टकरा ही जाता हूँ किसी ना किसी मोड़ पर ,
     
      सच ही कहा है, किसी ने  कि दुनिया गोल है  |
 
6 .  कुछ अरसे पहले तेरे हाथों कि खुशबु रह गई थी हर जगह ,
      वही महक , महकती रहती है आज भी , लफ़्ज़ों में ,
    
      डायरी के पन्नों में बसी यादें अब भी गीली हैं |

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Veerendra Jain on February 15, 2011 at 11:21pm
Bahut bahut shukriya...Anushri...
Comment by Veerendra Jain on February 15, 2011 at 11:20pm
Arun ji... bahut bahut dhanyawad...aap logon ka protsahan ek gazab ki shakti pradaan karta hai...
Comment by Veerendra Jain on February 15, 2011 at 11:19pm
Vandana ji...bahut bahut aabhar..ki aapne rachna pasand ki aur use charchamanch per feature kiya...itni hausla afzai ke liye bahut shukriya...
Comment by anupama shrivastava[anu shri] on February 15, 2011 at 12:04pm
मैंने छिपा लिया उन्हें मुट्ठियों में मोती समझकर ,
तुमने पोंछ दिया हथेली से पानी कहकर ,

या खुदा ! आंसूओं का मुकद्दर भी जुदा-जुदा होता है ?.bahut khoob likha hai...............badhaiyan.......
Comment by Abhinav Arun on February 13, 2011 at 11:37am

सचमुच मौलिक और गज़ब की त्रिवेनियाँ ..एक से बढ़कर एक ..मुझे ये खास पसंद आयी ..

 ना जाने क्या चुभता रहा रात भर आँखों में ,

      मसलते मसलते लाल हो गईं आँखें मेरी ,
      
      सुबह धोईं जो शबनम से बूंदों के साथ चाँद निकला | 
बधाई कबूलें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service