For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रपट - बनारस को मिला ''मेरा शहर मेरा गीत''

            दैनिक जागरण के राष्ट्रीय आयोजन ‘’ मेरा शहर मेरा गीत ‘’ के लिए गत वर्ष अप्रैल २०१३ में वाराणसी शहर से प्राप्त करीब पांच सौ प्रविष्टियों में से बॉलीवुड के प्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी के नेतृत्व वाली ज्यूरी द्वारा चयनित गीत की दिनांक ०९ फरवरी २०१४ को वाराणसी के संपूर्णानंद स्टेडियम में समारोहपूर्वक भव्य लॉन्चिंग की गयी | इस गीत को दिल्ली एन. सी. आर. स्थित राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (भारत सरकार) में बी.टेक . द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी वाराणसी निवासी नीलाभ उत्कर्ष ने रचा है | ‘क़यामत से क़यामत तक ‘, ‘बोल राधा बोल ‘, ‘दिल’, और ‘बेटा’ जैसी कई सुपर हिट फिल्मों के लिए कामयाब मधुर संगीत देनेवाले संगीतकार आनंद - मिलिंद (प्रसिद्द संगीतकार चित्रगुप्त के सुपुत्र) के संगीत निर्देशन में ‘जब तक है जान ‘ , ‘ अजब प्रेम की गज़ब कहानी ‘ जैसी अनेक फिल्मों में पार्श्वगायन करने वाले चर्चित युवा गायक जावेद अली ने अपनी खूबसूरत आवाज़ दी है | गीत में काशी की कला संस्कृति और पहचान घाट , गली , कचौड़ी , ठंडई, प्रसाद , नजीर , शहनाई आदि को अपने शब्दों से नीलाभ ने बखूबी उकेरा है |

             गीत के लोकार्पण समारोह में वाराणसी के डी. एम. (जिलाधिकारी) श्री प्रांजल यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे | आयोजन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की प्रोफ़ेसर और ख्यात लब्ध शास्त्रीय गायिका डॉ रेवती साकलकर ने गीत को प्रस्तुत कर अद्भुत समां बाँधा | इस अवसर नगर के वरिष्ठ पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ,गणमान्य नागरिक ,पत्रकार ,साहित्यकार और कला – संस्कृति कर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित थे |

              गीतकार नीलाभ उत्कर्ष की अनुपस्थिति में पुरस्कार उनके पिता आकाशवाणी वाराणसी के वरिष्ठ उदघोषक एवं चर्चित युवा साहित्यकार अरुण पाण्डेय ‘’अभिनव अरुण ‘’ ने ग्रहण किया | नीलाभ उत्कर्ष की शिक्षा के साथ साथ अन्य गतिविधियाँ भी प्रशंसनीय रही हैं | उनके आलेख और कवितायेँ स्कूल कालेज की पत्रिकाओं में प्रकाशित और पुरस्कृत होती रही हैं | अपने वर्तमान संस्थान www.niftem.ac.in का कुल गीत भी नीलाभ ने लिखा है | स्पिक मैके , मैक फेयर आदि आयोजनों में सक्रियता से जुड़े नीलाभ ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा निर्मित फिल्म ‘’ धरती के लाल ‘’ में भूतपूर्व प्रधानमन्त्री स्व. लालबहादुर शास्त्री के किशोर वय की भूमिका भी निभायी थी | इस फिल्म का लोकार्पण नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री महोदय द्वारा किया गया था | इस फिल्म को दूरदर्शन के राष्ट्रीय नेटवर्क पर कई बार प्रदर्शित किया गया है | नीलाभ ने इसके अलावा नेशनल साइंस एवं कंप्यूटर ओलंपियाड में भी स्वर्ण पदक हासिल किये हैं | शहर एवं राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रश्नोत्तरी एवं संभाषण प्रतियोगिताओं में सफलतापूर्वक प्रतिभाग करने वाले नीलाभ को समारोह में उपस्थित अतिथियों ने उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनायें दीं |

गीत का यू ट्यूब लिंक –

http://www.youtube.com/watch?v=utRL5suhO20&feature=youtu.be

                                                                          ‘’मेरा शहर मेरा गीत’’

घुलीं पान सी मस्तियाँ इस शहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में

 

इसे गुनगुनाओ सजाओ संवारो

मोहब्बत से इसको ज़रा तुम निहारो

कबीर और तुलसी गले मिल रहे हैं

प्रसादों नजीरों के दिल खिल रहे हैं

गली घाट सब ठंडई की लहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

रईसों मलंगों की बस्ती बनारस

कई घाट गंगा गुज़रती बनारस ,

नहीं आपाधापी नहीं भागादौड़ी

यहाँ अल सुबह रोज़ छनती कचौड़ी

अजब सी है मस्ती यहाँ की ठहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

कला संस्कृति का यहाँ ऊँचा परचम

बनारस ने सबको सिखाया है हर फन

यहाँ वेद गूंजे तो शहनाइयाँ भी

गए दौर की जिंदा परछाइयां भी

बुलाती है आवाज़ दे हर पहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

मेरी सादगी में छिपी मेरी पहचान

यही रूप मेरा यही मेरी है जान ,

बनारस तो जीने का एक फलसफा है

समंदर पे तटबंध कब बन सका है

मुझे ढूंढ लो हर  ध्वजा हर फहर में

ग़ज़ल अपनी काशी मुकम्मल बहर में 

 

             - नीलाभ उत्कर्ष

              ( सुपुत्र - अभिनव अरुण )

Views: 1058

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 2:16pm

आदरणीय अभिनव जी ..इतना प्यारा गीत ..लिखने वाले नीलाभ के पिता की खुशी में हम भी शरीक हो रहे हैं ..मुझे लगता है यह खुशी ऐसी है जिसपर इंसान अपने व्यक्तिगत उपलब्धियों की तमाम खुशिया न्योछाबर कर सकता है ..चिरंजीव नीलाभ को , और आपको मेरी तरफ से कोतिसः बधाई सादर 

Comment by Meena Pathak on February 15, 2014 at 12:40pm

बहुत बहुत बधाई आदरणीय अभिनव जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 15, 2014 at 12:16pm

आदरणीय अभिनव अरुण भाई ,

बहुत खूब ,  चि.  नीलाभ उत्कर्ष की जितनी तारीफ करें कम है। बनारस शहर को अपने सुंदर  गीत   से जीवंत कर दिया॥............                   बाप शेर( गज़ल) लिखता है तो बेटा सवा शेर लिखता है। मेरी यह बधाई और शुभकामना  चि.  नीलाभ उत्कर्ष तक पहुँचे। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
1 minute ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
3 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
5 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
10 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service