For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंदरा मुंडा के घर में है फाका,

गाँव में नहीं हुई है बारिश,

पड़ा है अकाल.

जंगल जाने पर

सरकार ने लगा दी है रोक ,

जंगल, जहाँ मंदरा पैदा हुआ,

जहाँ बसती है,

उसके पूर्वजों की आत्मा.

भूख विवेक हर लेता है.

उसके बेटों में है छटपटाहट.

एक बेटा बन जाता है नक्सली.

रहता है जंगलों में.

वसूलता है लेवी.

दुसरे को कराता है भरती

पुलिस में.

बड़े साहब को ठोक कर आया है सलामी

चांदी के बूट से .

चुनाव आने पर,

नक्सली बेटा वोट करता है मैनेज

चुनाव के बाद नेता

बन जाता है मंत्री.

गाँव में बुलाता है पुलिस

होते हैं दोनों भाई

आमने सामने.

अपनी अपनी बन्दूको के साथ

गिरती है लाश

मरता है लोक तंत्र

इस लाश को मत ओढाओ तिरंगा.

ढको इसे सफ़ेद चादर से,

रंग तो प्रतीक होता है,

ख़ुशी और हर्ष का.

मदरा मुंडा के घर में पड़ा है शोक.

फिर पड़ा है फाका,

जंगल जाने पर

अभी भी है रोक.

.. नीरज कुमार नीर ..  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 493

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on February 1, 2014 at 10:17am

हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी , आपका मेरी इस पोस्ट पर आना और कविता को सराहना इस कविता को सार्थक कर गया .. बहुत धन्यवाद आपका .. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 1, 2014 at 1:51am

जंगल की आग बहुत तेज़ फैलती है. और, इस आग की धौंक तो उससे भी तेज़ हुआ करती है. लेकिन जंगलों में आग अक्सर यों ही नहीं लगा करती. बल्कि दो सूखी डालों में रगड़ बनती है कारण इस आग की. इन्हीं सूखी डालों के जीवन संघर्ष को स्वर मिला है इस रचना में. यहाँ पेट का जंगल जल रहा है. मंदरा मुंडा की दोनों शाखायें रगड़ खाने को बाध्य हुई हैं.  

इस लाश को मत ओढाओ तिरंगा.
ढको इसे सफ़ेद चादर से,
रंग तो प्रतीक होता है,
ख़ुशी और हर्ष का.
मदरा मुंडा के घर में पड़ा है शोक.

सफ़ेद और रंग के बिम्बों से कविता ने भावुक कर दिया. इस गहरायी से पंक्तियों को शब्दबद्ध करना कविता को बहुत अर्थवान कर रहा है.
 
इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई नीरज भाई.

Comment by Neeraj Neer on January 27, 2014 at 8:50pm

आदरणीया डॉ प्राची सिंह साहिबा विषय वस्तु को गहराई से समझने एवं समर्थन देकर प्रोत्साहित करने के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ ... 

Comment by Neeraj Neer on January 27, 2014 at 8:49pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय भाई अरुण शर्मा अनंत जी ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 27, 2014 at 3:50pm

आकाल की विभीषिका और सरकारी तंत्र की वन आरक्षण नीतियां.....  कैसे बेबसी को नक्सलियत में तब्दील कर देती हैं. संवेदनाओं को झिंझोड़ने वाला एक बहुत ही उद्वेलित करता सा शब्द चित्र उकेरती इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई आ० नीरक कुमार 'नीर' जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 24, 2014 at 11:26am

मुफलिसी और मज़बूरी इंसान से क्या क्या करवा लेती है ऐसी बेबसी का सुन्दर चित्रण बहुत बहुत बधाई आपको नीरज भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
47 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
54 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service