For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत - नये साल की धूप // --सौरभ


आँखों के गमलों में
गेंदे आने को हैं
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .

ये आये तब
प्रीत पलों में जब करवट है
धुआँ भरा है अहसासों में
गुम आहट है
फिर भी देखो
एक झिझकती कोशिश तो की !
भले अधिक मत खुलना
तुम, पर
कुछ सुन जाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .

संवादों में--
यहाँ-वहाँ की, मौसम, नारे..
निभते हैं
टेबुल-मैनर में रिश्ते सारे
रौशनदानी
कहाँ कभी एसी-कमरों में ?
बिजली गुल है,
खिड़की-पल्ले तनिक हटाना.. .
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
 
अच्छा कहना
बुरी तुम्हें क्या बात लगी थी
अपने हिस्से
बोलो फिर क्यों ओस जमी थी ?
आँखों को तुम
और मुखर कर नम कर देना
इसी बहाने होंठ हिलें तो
सब कह जाना..
नये साल की धूप तनिक
तुम लेते आना.. .
*********
-- सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1381

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:58pm

आदरणीय गिरिराजभाईजी,

यह अलग भावभूमि की रचना है. ऐसी रचनाओं में गीतपन और कथ्य का मिलाजुला रूप होता है. यानि, गेयता होती है.  इसतरह के बिम्बों से संतुष्ट हुई रचना नवगीत कहलाती है.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:55pm

हृदय से धन्यवाद भाईजी, रचना रुचिकर नहीं लगी तो कोई बात नहीं.
शुभ-शुभ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:53pm

आदरणीया कल्पनाजी, आपकी संवेदनशील दृष्टि ने इस रचना को जो मान दिया है वह मेरे लिए भी थाती है.
हृदय से आपकी सदाशयता को स्वीकार कर धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:50pm

बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीया वन्दनाजी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:50pm

भाई अजयजी, आपने रचना को समय दिया, यह मेरे लिए भी परम संतोष की बात है. स्नेह बना रहे.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:46pm

आदरणीया शशिजी, आपने प्रस्तुति पर समय दिया यही मेरे लिए बहुत है.
हृदय से धन्यवाद कह रहा हूँ.

//मात्रा गिनने पर हमें समझ नहीं आया कहाँ जोड़े और कहाँ नहीं , मात्रिक बंद  की  पंक्तिया हमें अलग अलग लगी , सामान्यतः पक्तियों के अनुसार हम गिन लेते है मार्गदर्शन प्रदान करें //

जी सही, कहा आपने, हम सामान्यतया किसी रचना की कुल पद-मात्रा को पंक्तियों की मात्राएँ गिनकर समझ लेते हैं. लेकिन, आदरणीया, यही तो यहाँ भी है ! आप जैसे मात्राएँ गिनती हैं वही यहाँ भी करें. बस पंक्तियाँ भावों के अनुसार तोड़ दी गयी हैं. आपको पंक्तियों को पहचानना है.

इतना इत्मिनान रखिये, आपको प्रत्येक पंक्ति में सटीक मात्राएँ मिलेंगी. कुल मात्रा एक समान है,  न एक अधिक, न एक कम !
वैसे आप तो स्वयं नवगीत विधा की प्रखर रचनाकार हैं. हम आपकी रचनाओं का सम्मान करते हैं.

फिर ऐसे प्रश्न ?


सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:38pm

आदरणीय सुशील सरनाजी, आपने जिस उत्साह और आत्मीयता से मेरे प्रयास को मान दिया है, वह मुझे अभिभूत कर रहा है तथा यह भी अभिव्यक्त हो रहा है कि एक संवेदनशील हृदय किसी संवेदनापूरित बिम्ब को कितना अपनापन देता है.

इस उत्साहवर्द्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.   

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:32pm

भाई आशुतोषजी,
मुझे इस बात हार्दिक कष्ट है कि आपकी कसौटियों पर यह रचना बनी नहीं रह पायी. फिर भी हार्दिक निवेदन है, काश आप इस रचना को एक बार ठीक से पढ़ गये होते.

भाईजी, मेरी रचनाओं की ऐसी भी एक इमेज है, कि वे क्लिष्ट मान ली जाती हैं ! अन्यथा, मुझे इस रचना की किसी पंक्ति में उस हिसाब से कोई शब्द क्लिष्ट की श्रेणी का नहीं लगा.

आपने इसी मंच के छंद विधान समूह को कभी क्लिक किया है क्या ? वहाँ इसके विधान पर चर्चा है.

मग़र, आप तो वैसे भी ग़ज़ल के अलावे किसी अन्य रचना को कम ही पढ़ते हैं.
आपकी ग़ज़लों का मैं भी प्रशंसक हूँ.
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:32pm

बहुत-बहुत धन्यवाद, नादिर भाई.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 23, 2013 at 10:32pm

आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपको कहन का लालित्य भला लगा सामझिये मेरा रचना-प्रयास सफल हुआ.
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
14 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service