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श्याम जैसी वो साँवरी होगी : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
2122  1212  22


खूबसूरत हँसी परी होगी,
सोचता हूँ जो जिंदगी होगी,

सादगी कूटकर भरी होगी,
श्याम जैसी वो साँवरी होगी,

 

ख्वाहिशें क्यूँ भला अधूरी हैं,
मांगने में कहीं कमी होगी,

ख़त्म कर लें विवाद आपस का,
मैं गलत हूँ कि तू सही होगी,

 

मौत ने खा लिया बता देना,

जिस्म में जान जब नही होगी,

शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी....

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on December 6, 2013 at 7:11pm
आप जैसे लोग जब ग़ज़ल लिखेंगे
तभी तो मुकम्मल शायरी होगी ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 6, 2013 at 7:09pm
वाह छा गए आप तो बहुत खूबसूरत और गहरा लिखा ह बहुत बधाई
Comment by coontee mukerji on December 6, 2013 at 6:23pm

ख़त्म कर लें विवाद आपस का,

मैं गलत हूँ कि तू सही होगी,.............बहुत सुंदर.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 6, 2013 at 5:56pm
सभी अशआर बहुत खूबसूरत हुए हैं 
ख्वाहिशें क्यूँ भला अधूरी हैं,
मांगने में कहीं कमी होगी,
शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी...
ये दो शेर ख़ास पसंद आये 
यूँ ही लिखते रहिये ...बहुत बहुत शुभकामनाएं 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 3:34pm

आदरणीय अरुण अनंत भाई , एक के बाद एक धमाका , वाह भाई बहुत खूब !!! लाजवाब गज़ल के लिये आपको बधाई !!!!!

शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी.. वाह वा !!!! ढेरों बधाइयाँ !!!

खास आपके लिये

तुमको देखेगी जो नज़र भर के

देख लेना वो बावरी होगी  - गिरिराज

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 2:27pm

क्या बात है मित्रवर बेहद खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने

सादगी कूटकर भरी होगी,
श्याम जैसी वो साँवरी होगी,....वाह वाह वाह

शांत चुपचाप दोस्त रहने दो,
सत्य बोलूँगा खलबली होगी..........क्या बात है ''

दिली दाद क़ुबूल करें भाई साहब जय हो

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