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तमन्ना यही एक पूरी खुदा कर : अरुन शर्मा 'अनन्त'

बह्र : मुतकारिब मुसम्मन सालिम

तमन्ना यही एक पूरी खुदा कर,
जमी ओढ़ लूँ मैं फलक को बिछा कर,

शुकूँ से भरी नींद अँखियों को दे दे,
दुआओं तले माँ के बिस्तर लगा कर,

बढ़ा हौसला दे मेरी झोपड़ी का,
बुजुर्गों के आशीष की छत बना कर,

अमन शान्ति का शुद्ध वातावरण हो,
मुहब्बत पिला दे शराफत मिला कर,

सितारों भरी एक दुनिया बसा रब,
अँधेरे का सारा जहाँ अब मिटा कर..

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by Parveen Malik on December 7, 2013 at 11:07am
बहुुत खूबसूरत गजल ...
शुकूँ से भरी नींद अँखियों को दे दे,
दुआओं तले माँ के बिस्तर लगा कर,

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on December 6, 2013 at 9:45pm

उम्दा अश'आरों के लिए बधाईयाँ.................बढ़िया ग़ज़ल.....................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 6, 2013 at 8:41pm

बढ़ा हौसला दे मेरी झोपड़ी का, 
बुजुर्गों के आशीष की छत बना कर,----शानदार शेर ,बहुत सुन्दर उम्दा ग़ज़ल ,बधाई आपको 

Comment by Meena Pathak on December 6, 2013 at 2:26pm

बेहतरीन रचना , बधाई आप को आ० अरुन जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 6, 2013 at 2:17pm

क्या बात है आदरणीय अरुण भाई साहब

इक इक अशआर शानदार है

किसे कहूँ ये बेहतर है कहना मुश्किल हो रहा है

हर इक अशआर पर ढेरों दाद हाजिर है

जय हो

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 2:05pm

आदरणीया प्राची दी ग़ज़ल पर आपकी टिपण्णी पाकर मुग्ध हूँ मन प्रसन्न हो उठा दिदिया. ग़ज़ल आपको पसंद आई ग़ज़ल सफल हुई. आशीष एवं स्नेह यूँ ही बना रहे.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 1:14pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय तपन भाई

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 1:13pm

शुक्रिया आदरणीय जीतेंद्र भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 1:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2013 at 1:12pm

हार्दिक आभार अनुज राम शिरोमणि पाठक भाई

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