For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सत्य मेरा बोलना ही ऐब है

बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ

2 1  2 2  2 1  2 2  2 1 2


तंग बेहद हाथ खाली जेब है,
सत्य मेरा बोलना ही एब है,

पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
( अवरेब = चाल )

जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,
( तंजेब = अचकन, लम्बा पहनावा )

जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,
( आसेब = कष्ट )

भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1200

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:53pm

आदरणीय सौरभ सर आपने जिस दोष को इंगित किया है अभी दोबारा उसे विस्तार से पढ़ा फिर भी मुझे समझ नहीं आया क्यूंकि

जेब और ऐब दोनों ही मूल शब्द हैं दोनों में हर्फ़े रवी हटाने से जे और ऐ बचता है. मुझे स्पष्ट नहीं हो पा रहा थोड़ी उलझन हो रही है कृपया उलझन सुलझाएं सर.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:48pm

धन्यवाद आदरणीय गोपाल सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:48pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय केवल भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:47pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2013 at 5:10pm

भाई अरुन अनन्त जी, आपका मतला दोषपूर्ण है.  शकील भाई ने सही इशारा किया है. ऐसे दोष को सिनाद का दोष कहते हैं.

दूसरे, एक और और इशारा वीनस भाई की ओर से हुआ है. आप उनकी भी बातों के मद्देनज़र अपना रचनाकर्म सतत करें. 

शुभेच्छाएँ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 3:41pm

Dard ka kurta phado. gazal ka Jhanda garo. More and more........

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 7, 2013 at 2:41pm

आ0 अरून अनन्त भाईजी,  बहुत ही सुन्दर गजल।   मैं नीरज'प्रेम' भाई से सहमत हूं। दिली दाद कुबुल करें।    सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 7, 2013 at 2:03pm

आदरणीय अरुण भाई , बहुत खूब सूरत गज़ल कही भाई !!!! बहुत दुर्लभ , कठिन काफ़िया को आपने निबाहा है !!!! आपको बहुत बधाई !!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 1:01pm

आदरणीय वीनस भाई जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका, आपका ग़ज़ल पर आना ही लेखन को सार्थकता प्रदान करता है स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:55pm

बहुत बहुत धन्यवाद चन्द्र शेखर भाई जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service