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ग़ज़ल : सत्य मेरा बोलना ही ऐब है

बह्र : रमल मुसद्दस महजूफ

2 1  2 2  2 1  2 2  2 1 2


तंग बेहद हाथ खाली जेब है,
सत्य मेरा बोलना ही एब है,

पाँव नंगे वस्त्र तन पे हैं फटे,
वक्त की कैसी अजब अवरेब है,
( अवरेब = चाल )

जख्म की जंजीर ने बांधा मुझे,
दर्द का हासिल मुझे तंजेब है,
( तंजेब = अचकन, लम्बा पहनावा )

जुर्म धोखा देश में जबसे बढ़ा,
साँस भी लेने में अब आसेब है,
( आसेब = कष्ट )

भेषभूषा मान मर्यादा ख़तम,
संस्कारों की गिरी पाजेब है....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:53pm

आदरणीय सौरभ सर आपने जिस दोष को इंगित किया है अभी दोबारा उसे विस्तार से पढ़ा फिर भी मुझे समझ नहीं आया क्यूंकि

जेब और ऐब दोनों ही मूल शब्द हैं दोनों में हर्फ़े रवी हटाने से जे और ऐ बचता है. मुझे स्पष्ट नहीं हो पा रहा थोड़ी उलझन हो रही है कृपया उलझन सुलझाएं सर.

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:48pm

धन्यवाद आदरणीय गोपाल सर

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:48pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय केवल भाई जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 5:47pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 7, 2013 at 5:10pm

भाई अरुन अनन्त जी, आपका मतला दोषपूर्ण है.  शकील भाई ने सही इशारा किया है. ऐसे दोष को सिनाद का दोष कहते हैं.

दूसरे, एक और और इशारा वीनस भाई की ओर से हुआ है. आप उनकी भी बातों के मद्देनज़र अपना रचनाकर्म सतत करें. 

शुभेच्छाएँ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 7, 2013 at 3:41pm

Dard ka kurta phado. gazal ka Jhanda garo. More and more........

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 7, 2013 at 2:41pm

आ0 अरून अनन्त भाईजी,  बहुत ही सुन्दर गजल।   मैं नीरज'प्रेम' भाई से सहमत हूं। दिली दाद कुबुल करें।    सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 7, 2013 at 2:03pm

आदरणीय अरुण भाई , बहुत खूब सूरत गज़ल कही भाई !!!! बहुत दुर्लभ , कठिन काफ़िया को आपने निबाहा है !!!! आपको बहुत बधाई !!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 1:01pm

आदरणीय वीनस भाई जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका, आपका ग़ज़ल पर आना ही लेखन को सार्थकता प्रदान करता है स्नेह यूँ ही बना रहे

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 7, 2013 at 12:55pm

बहुत बहुत धन्यवाद चन्द्र शेखर भाई जी

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