For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

जब आसमान में काले बादल

नज़र आते हैं

जब रात स्याह और घनी हो जाती है

कोई पथ नहीं दिखता

डर बढ़ जाता है

स्वयं को खोने का

तब मेरे अंदर से आवाज़ आती है

मैं तुम्हारे साथ हूँ

जब दर्द बढ़ जाता है

पीड़ा घनीभूत हो

आँसू बन ढुलकती है

गालों पर मोती सी

तब मेरे अंदर से आवाज़ आती है

मैं तुम्हारे साथ हूँ

जब मेरे ही

मुझे प्रताडित करते हैं

मुझ में विश्वास नहीं कर

मुझे निराश करते हैं,

जब सपने टूटते हैं

कोई कंधा नहीं मिलता

सिर रखकर रोने को

दिलासा देने को,

जब मार्ग अनजाने होते हैं

बाधाएं सिर उठाती हैं

अपने पराये हो जाते हैं

तब मेरे अंदर से आवाज़ आती है

मैं तुम्हारे साथ हूँ

मैं यहां हूँ

मृग के अंदर कस्तूरी की तरह छिपी

ऊर्जा से परिपूर्ण

नये अर्थ, नई संभावनाएँ लिए

बाहर की भटकन छोड़ो

मेरी ओर देखो,

मैं यहां हूँ

अतल गहराइयों में दबी

वह अंतस की शक्ति

मुझे बल देती है

मैं फिर चल पड़ती हूँ

पहले से अधिक दृढता से

आगे बढ़ती हूँ

लक्ष्य की ओर जो है ..

मानवता की महानता को पाने का

नये द्वार, नये नये पथ दिखते हैं,

कोई अलौकिक धवल किरण

प्रकाशित कर जाती है

उस पथ को

और मैं नये रूप मैं

जीवन को

देखने लगती हूँ |

मोहिनी चोरडिया

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना 

     

Views: 613

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on November 1, 2013 at 9:21pm

आदरणीये मैं हिन्‍दी साहित्‍य के प्रथम अध्‍याय केा भी अभी शुरू नहीं कर पाया हॅू और ना ही हमें इसकी समझ है मगर आप की कविता की

मेरे अन्‍दर से आवाज आती है'''''''''''''''''जीवन की यह सच्‍चाई है आदमी सही काम करे या गलत सुख में दुख में अर्न्‍तमन सब जगह रास्‍ता दिखाता है बस हम उसे समझ पाये ना समझ पाये हम उसकी आवाज सुने ना सुने यह सब अपने उपर है

Comment by Ravi Prabhakar on November 1, 2013 at 6:03pm

मन को मोह लिया आदरणीय मोहिनी जी आपकी उत्‍क़ष्‍ट रचना ने, आपकी और प्रस्‍तुतियों का इंतजार रहेगा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service