For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीवाली पर एक नवगीत

क्यों रे दीपक
क्यों जलता है,
क्या तुझमें
सपना पलता है...?!

हम भी तो
जलते हैं नित-नित
हम भी तो
गलते हैं नित-नित,
पर तू क्यों रोशन रहता है...?!

हममें भी
श्वासों की बाती
प्राणों को
पीती है जाती,
क्या तुझमें जीवन रहता है...?!

तू जलता
तो उत्सव होता
हम जलते
तो मातम होता,
इतना अंतर क्यों रहता है...?!

तेरे दम
से दीवाली हो
तेरे दम
से खुशहाली हो,
फिर भी तू चुप - चुप रहता है...?!

चल हम भी
तुझसे हो जायें
हम भी जग
रोशन कर जायें,
मन कुछ ऐसा ही करता है...!!

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

- विशाल चर्चित

Views: 861

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on October 28, 2013 at 6:12pm

खूबसूरत नवगीत

Comment by राजेश 'मृदु' on October 28, 2013 at 3:18pm

आपकी रचना निस्‍संदेह सुंदर है, स्‍पष्‍ट है । चूंकि गीत पर मैं भी हाथ आजमाता रहता हूं अत: प्रत्‍येक बंद का अंत प्रश्‍न से हो जैसा

कि अधोलिखित पंक्तियों में हो तो मुझे लगता है यह और सुंदर हो सके्गा, कृपया विचार करें,

हम भी तो
जलते हैं नित-नित
हम भी तो
गलते हैं नित-नित,
पर तू क्यों रोशन रहता है...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on October 28, 2013 at 2:29pm

आदरणीय विशाल जी, बार बार पढ़ रहा हूँ इन अद्भुत पंक्तियों को....एक सुझाव अंतिम पंक्ति में " मन कुछ ऐसा ही करता है" के स्थान पर 'मन कुछ ऐसा ही कहता है' ----कैसा लगेगा?

सादर

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2013 at 2:05pm

प्रदीप भाई जी...... आपका हृदय से आभारी हूं कि आपने अत्यन्त सूक्ष्म छिद्रान्वेषण किया..... एक पाठक के रूप में आपने अपना दायित्व निभाया.... अब एक कवि के रूप में मेरा दायित्व है कि अपना पक्ष रखूं.....  आप अगर ध्यान से देखें तो पायेंगे कि हर अंतरे में दीपक से बात हो रही है.... अलग - अलग मुद्दों पर..... आखिरी अंतरे में भी यही हुआ है.... दीपक से ही ये कामना - ये सदिच्छा प्रकट की गयी है कि -

चल हम भी 
तुझसे हो जायें
हम भी जग 
रोशन कर जायें,
मन कुछ ऐसा ही करता है...

चूकि ये एक उत्सव का मामला है दीवाली का मामला है तो..... एक सदिच्छा - एक शुभकामना मुझे यहां नितांत आवश्यक लगी..... !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2013 at 1:49pm

वंदना जी आभार !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2013 at 1:49pm

बहुत - बहुत शुक्रिया सुशील भाई !!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 28, 2013 at 1:48pm

विजय सर जी आभार !!!

Comment by Pradeep Kumar Shukla on October 28, 2013 at 12:17pm

waah .. bahut sundar ... behad khoobsoorat vichaar aur vivechna ... ek baat kahunga, antare ki antim pankti, us antare ki shesh panktiyon ke bhaav se kahin kahin bhinn lagi mujhe ... aisa meri samjh ke anusaar hua, main galat bhi ho sakta hoon

 

Comment by vandana on October 28, 2013 at 6:55am

खूबसूरत नवगीत 

Comment by Sushil.Joshi on October 28, 2013 at 5:10am

तेरे दम
से दीवाली हो
तेरे दम
से खुशहाली हो,
फिर भी तू चुप - चुप रहता है......... वाह वाह.......

चल हम भी
तुझसे हो जायें
हम भी जग
रोशन कर जायें,
मन कुछ ऐसा ही करता है......... अति उत्तम.......... सुंदर भावों से सुसज्जित एवं अंत में एक चाह लिए हुए इस सुंदर नवगीत के लिए बहुत बहुत बधाई हो आ0 विशाल भाई....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
51 seconds ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
2 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
4 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
9 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service