For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुंडलिया छंद-लक्ष्मण लडीवाला

नारी का अपमान हो,सारे व्यर्थ विधान 
मूक बने शासक जहाँ, बढे  वही  हैवान  |
बढे  वही  हैवान, नहीं रहती मर्यादा 
नारी क्यों बेजान, प्रश्न है सीधा सादा | 
रखना अपना ध्यान, छोड़ दे अब लाचारी  
लेकर दुर्गा रूप, करे परिवर्तन  नारी |    
(2)
रखना धीरज होंसला, बन जायेगी बात,  
मन में उठे विचार तो, सुन लेना हे तात । 
सुन लेना  हे  तात,सुनकर मनन फिर करना 
बन सकती है बात, विद्वजन का यह कहना 
कहते है  कविराय, उचित लगे वही करना,        
सब संभव हो पाय, धीरज सदा ही रखना।   
(मौलिक व् अप्रकाशित)
 

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 19, 2013 at 11:35am

कुंडलिया छंद के भाव पसंद करने और कमियों की ओर ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक आभार श्री सुशिल जोशी जी | 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 19, 2013 at 11:31am

सभी सुधि पाठको का हार्दिक आभार | 

Comment by वेदिका on October 18, 2013 at 5:08pm

सुन लेना  हे तात, सुनकर मनन फिर करना//

मनन सुनकर ही करना !!

बधाई !!

Comment by Sushil.Joshi on October 17, 2013 at 9:02pm

बहुत ही सुंदर भावों से सुसज्जित कुंडलिया छंद बने हैं आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी.... बधाई हो..... किंतु प्रथम छंद में रोला की तृतीय पंक्ति के सम चरण में मात्रा दोष प्रतीत हो रहा है.... शायद कोई वर्ण छूट गया लगता है..... कृपया पुन: जाँच लें.....

रखना अपना ध्यान, छोड़ दे लाचारी

इसी प्रकार दूसरे छंद में भी रोला की प्रथम पंक्ति के सम चरण में मात्राओं का योग 14 हो रहा है....

सुन लेना  हे  तात, सुनने में नहीं  बुराई,  

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 17, 2013 at 4:23pm

 नर नारी दोनों को अच्छी सीख दी बधाई  लक्ष्मण भाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 17, 2013 at 1:59pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई सुन्दर कुंडलियाँ के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!!

Comment by Sarita Bhatia on October 17, 2013 at 1:04pm

हार्दिक बधाई भाई लक्ष्मण जी 

Comment by Shyam Narain Verma on October 17, 2013 at 12:19pm
भावनाओं से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें.... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service