For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - हँसती जाती है दहशत क्योंकर - पूनम शुक्ला

2222. 2222. 2
इतनी फैली है गीबत क्योंकर
शफ़्क़त आनें में शिद्दत क्योंकर

आबे दरिया सा रास्ता सबका
रुक ही जाती है बहजत क्योंकर

ताबो ताकत बैठी रोती है
इतनी बरकत में दौलत क्योंकर

आसाइश इतनी दरहम बरहम
हँसती जाती है दहशत क्योंकर

कितना बेकस है इंसा बेबस
तब भी शातिर ही हिकमत क्योंकर

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

गीबत - बदबू
बहजत - खुशी
ताबो ताकत - योग्यता
आसाइश - सुख समृद्धि
दरहम बरहम - अस्त व्यस्त
बेकस - बेचारा
हिकमत - उपाय

Views: 704

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 9:27pm

बा बहर कलाम के लिए बधाई स्वीकारें ... बहर के हवाले से कुछ करने की जरूरत नहीं है ... कहन / भाषा के प्रति और नरम होना जरूरी है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 7:45pm

अरुन अनन्त भाई... ये क्या सलाह दे दी आपने ?

ग़ाफ़ (गुरु) की विषम या फूट संख्या पर सधा मिसरा बहुत ही लोकप्रिय ग़ज़लों का कारण रहा है. यहाँ नौ (9) ग़ाफ़ हैं. सही हैं.

फेलुन फेलुन .. फ़ा ..  के वज़्न में !

ग़ज़ल तो बाबह्र है.

पूनम जी .. बधाई.

शुभ-शुभ

Comment by Poonam Shukla on October 16, 2013 at 4:15pm
मुझे बस इतना पता है कि मैं गाकर लिखती हूँ ।
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 16, 2013 at 2:22pm

आदरणीया पूनम जी आपको ग़ज़ल बह्र पर ध्यान देना होगा जिस तरह से आपने रुक्न तोड़े हैं वे इस तरह से नहीं टूटेंगे.

2222 2222 2

2122, 2122, 2 यह शायद इस तरह से होंगे अधिक वीनस भाई जी कुछ कह सकेंगे यदि वे इस ग़ज़ल पर पहुंचेंगे.

Comment by बृजेश नीरज on October 16, 2013 at 1:32pm

वाह! बहुत सुन्दर! अच्छी उर्दू ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by Poonam Shukla on October 16, 2013 at 6:17am
अर्थ भी दे देती हूँ
Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 8:16pm

आदरणीया पूनम जी.... आदरणीय डॉ. आशुतोष जी के वक्तव्य से मैं भी सहमत हूँ.... यदि उर्दू शब्दों का अर्थ भी आप लिख दें तो हम जैसे उर्दू के न के बराबर जानकार भी भावार्थ को समझने में सफल होंगे..... सादर

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 15, 2013 at 3:42pm

आदरणीया पूनम जी ..उर्दू की बहुत जानकारी न होने के कारन मैं रचना के भाव तक नहीं पहुँच सका ..आपसे निवेदन है की यदि इन शब्दों के अर्थ भी साथ में दे तो हमारे उर्दू की समझ को बढाने में मदद के साथ रचना के लुत्फ़ उठाने का भी पूरा मौका मिलेगा ..यह मेरी व्यक्तिगत गुजरिश है ..सदार अभिवादन के साथ 

Comment by Shyam Narain Verma on October 15, 2013 at 1:19pm
बहुत खूब..............

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
16 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service