For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! सारांश !!!
बह्र - 2 2 2


कर्म जले।
आंख मले।।


धर्म कहां?
पाप पले।


नर्म गजल,
कण्ठ फले।


राह तेरी ,
रोज छले।


हिम्मत को,
दाद भले।


गर्म हवा,
नीम तले।


जीवन क्या?
हाड़ गले।

आफत में,
बह्र खले।


प्रीत करों,
बन पगले।


विव्हल मन,
शब्द टले।


दृषिट मिली,
सांझ ढले।


गर मुफलिस,
बात टले।

कण्टक पथ,
सत्य फले।

दुष्ट यहां,
हाथ मले।


के0पी0सत्यम / मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 958

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 7:29pm

आ0 प्रदीप भाई जी,  यह छोटी बह्र की गजल है।  संक्षिप्त इशारा मात्र।  आपका बहुत बहुत धन्यवाद आभार।  सादर,

Comment by Pradeep Kumar Shukla on October 28, 2013 at 4:29pm

sundar prayog ... haiku jaisa ... par kshama chaahunga Keval ji, aapki rachna ka adhikaansh ansh main samajh nahin saka ... kaafi gahre arth hain shayad .... ummed hai aap anyatha nahin lenge

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 22, 2013 at 6:26pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी!  सादर प्रणाम!  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by annapurna bajpai on October 20, 2013 at 10:31pm

 बहुत बढ़िया गजल के लिए बधाई आपको  आदरणीय केवल भाई जी । 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 17, 2013 at 7:52pm

आदरणीय सौरभ सर जी, सादर प्रणाम।  सर जी, आपके स्नेह और मार्गदर्शन से ही कुछ सम्भव हो पाता है  और जब आपका आशीष मिलता है तो मैं अतिकृतार्थ हो जाता हूं। आपके कण्ठ मुक्त आशीर्वाद के लिए आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 17, 2013 at 7:48pm

आदरणीय अखिलेश भार्इ जी, आपके स्नेह और गजल की सराहना के लिए आपका तहेदिल से आभार। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 3:30am

भाई केवल प्रसादजी.. यह ग़ज़ल आपके सामर्थ्य की बानग़ी है. इस प्रयोगधर्मिता का हम सम्मान करते हैं. बहुत सुन्दर प्रयास के लिए हार्दिक बधाई.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 16, 2013 at 9:50pm

जीवन  संघर्ष है , प्यार पागलपन।  धर्म  सत्य सभी पर सुंदर अभिव्यक्ति । हार्दिक बधाई केवल भाई ।

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 16, 2013 at 7:01pm

आदरणीया मीना जी,   आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 16, 2013 at 7:00pm

आदरणीय बृजेश भार्इ जी,   आपके स्नेह एवं उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service