For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भागीरथ के देश में ( लघुकथा )

प्राचार्य जी के साथ विद्यालय से निकल के कुछ दूर चले ही थे कि मुखिया जी ने पुकार लिया | बैठक में काफी लोग चर्चामग्न थे | बढती बेरोजगारी और आतंकवाद के परस्पर सम्बन्धों  से लेकर शिक्षित लोगों के ग्राम पलायन तक अनेक मुद्दों पर सार्थक विचार गंगा बह रही थी |कुछ देर बाद जब अधिकांश लोग उठकर चले गए तो मुखिया जी ने प्राचार्य जी से कहा –

“वो रामदीन के नवीं कक्षा वाले छोरे को पूरक क्यों दे दी ?”

“मुखिया जी लड़के की स्कूल में 30 प्रतिशत हाजिरी भी नहीं होती और कॉपियाँ बिलकुल खाली छोड़ रखी थी फिर भला ......”

“मास्टर जी सरकार तो साक्षरता बढ़ाने की बात करती है और आप बच्चों की पढाई छुडवाने में लगे हैं |”

“मुखिया जी साक्षरता के नाम पर ही आठवीं तक बच्चों को फ़ेल नहीं किया जाता और परिणामत: उस स्तर तक मेहनत के अभाव में नवीं तक भी बच्चा सामान्य गणित और अंग्रेजी की बात तो जाने दीजिये  हिंदी में भी अपनी बात अभिव्यक्त नहीं कर पाता और फिर हमें दसवीं का परिणाम भी तो देखना होता है |” मैं बिना बोले न रह सका |

“दसवीं तो फिर देखना अभी तो उसे पास करने का ध्यान रखो बस इसीलिये बुलवाया था |” कहकर मुखिया जी ने हाथ जोड़ हमें अपने हाव भाव से विदाई दे दी थी |

मैं सोच रहा था कि “क्यूँ भागीरथ के देश में अब कोई गंगा चौपाल की सीढियां तक नहीं उतर पाती|” 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 817

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on November 1, 2013 at 8:20pm

बहुत अच्छी लघु कथा. आपको हार्दिक बधाई!

कुछ शंकाएं थी जिनका समाधान चाहता हूँ.

//प्राचार्य जी के साथ विद्यालय से निकल के कुछ दूर चले ही थे// कौन?

//छोरे को पूरक क्यों दे दी ?”// मतलब?

सादर!

Comment by vandana on October 23, 2013 at 7:24am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ सर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2013 at 11:54pm

शिक्षा विभाग की एक दुखती सच्चाई को साझा करती लघुकथा...

Comment by vandana on October 10, 2013 at 7:07am

बहुत  बहुत धन्यवाद आदरणीय सारथी जी और शुभ्रांशु जी कि  आपने अपना अमूल्य समय दिया 

Comment by vandana on October 10, 2013 at 7:06am

आदरणीय अखिलेश जी आपका  बहुत बहुत शुक्रिया आपके विचारों का बहुत बहुत स्वागत है

 आपकी टिप्पणी के क्रम में इतना जरूर कहना चाहूंगी कि भ्रष्टाचार का सम्बन्ध शिक्षा से नहीं मन की कमजोरी से है रामदीन का बेटा क्या बनेगा यह तो वक़्त तय करेगा पर शिक्षा के माध्यम से वह इस लायक हो पाता कि पढ़े लिखे भ्रष्टाचारी उसे ठगने से पहले सौ बार सोचें और रही पूरक की बात तो वह तो तभी आती है जब या तो बच्चा एक या दो विषय में कमजोर हो या  कुछ अध्यापक उदारमन से अंक देते रहते हैं और वहीँ एक दो अध्यापक बच्चे को चेताने के लिए टेस्ट और अर्द्धवार्षिक में सही मूल्यांकन करते हुए  बच्चों को  कॉपी दिखाकर उनकी गलतियाँ बताते हैं फिर वार्षिक परीक्षा में उदारता दिखाकर भी  पास लायक कुल  अंक नहीं आ पाते .

चलिए बात चीत का क्रम यूँ ही बना रहे हम सभी एक दूसरे के दृष्टि कोण को जाने और लेखन समृद्ध हो यही कामना है सादर 

Comment by Shubhranshu Pandey on October 9, 2013 at 10:07pm

आदरणीया वन्दना जी, शिक्षा जगत में व्याप्त कमजोरियों को उजागर करने के लिये एक सुन्दर कथा का सहारा लिया है...

सादर.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 9, 2013 at 10:18am

कापियाँ बिल्कुल खाली छोड़ने पर पूरक भी नहीं मिलना था उससे अच्छा है पास कर देते । 90 से 100 प्रतिशत अंक वाले और बड़ी डिग्रीधारी देश को लाखों करोड़ों मे लूटते है। इस देश में जो जितना पढ़ा वो उतना धूर्त । रामदीन  का बेटा सीधा साधा चपरासी बनेगा लेकिन उच्च स्तर का  भ्रष्टाचारी नहीं बनेगा। आ. वंदनाजी अन्यथा न लें और लघु कथा पर मेरी बधाई स्वीकार करें।.... सादर । 

Comment by Saarthi Baidyanath on October 9, 2013 at 8:21am

आपका कथ्य ...पाठकों तक पहुँचता है ! बहुत ही बढ़िया लघु कथा ... बधाई :)

Comment by vandana on October 9, 2013 at 7:17am

आदरणीय अरुण जी आपका भी सार्थक टिप्पणी के लिए  बहुत बहुत आभार

सही टिप्पणियाँ लेखन को सुधारने में सहायक होती हैं आपका मार्गदर्शन हमेशा मिलता रहा है कृपया उस भाग को स्पष्टत: इंगित कीजिए जो समझ नहीं आ रहा ताकि सुधार कर पाठक तक बात को पहुँचाया जा सके 

Comment by vandana on October 9, 2013 at 7:15am

आदरणीय सुशील जी ,शिज्जू जी अन्नपूर्णा  जी और गिरिराज सर को  हार्दिक धन्यवाद एवं बहुत बहुत आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service