For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संवेदन शील मन
बार-बार क्यों
डूबता उतराता है
संवेदना के समंदर में
हजारबार गोते खाता है
प्रश्नों का अम्बार है
आज तो मर्यादा का व्यापार है
वास्तव में संवेदनाहीन हो रहा संसार है
गरीवी ,लाचारी ,बेचारी ,बेरोजगारी और कुछ शब्द थे ,
जिनमें संवेदना का अधिकार व्याप्त था
संवेदनशील मन के लिए इन शब्दों का होना पर्याप्त था
किन्तु संवेदना की परिभाषा बदल गयी
जहाँ संवेदना थी ओ भाषा बदल गयी
आज अत्याचारी ,बलात्कारी, भ्रष्टाचारियों पर
तथा कथित आदमी कहलाये जाने बाले संवेदनशील है
क्यों कि आधुनिक पहाडा के गिनती में वही प्रगतिशील है
ये भार समाज को चलानेवाले ठेकेदार

बहुत मेहनत और इज्जत से उठा रहे है
कुतर्क को तर्क बना आधुनिकता का गीत गा रहे हैं
अभिमान के अधेरे में माँ भारती का मान  रो रहा है
बेटी नहीं सुरक्षित पिता का स्वाभिमान रो रहा है
संवेदना मेरे मन में नहीं
तुम्हारे मन में नहीं
हम सबके मन में नहीं
पर हिन्द का मन अति संवेदनशील है
इसलिए आज हिंदुस्तान रो रहा है .........

मौलिक /अप्रकासित
दिलीप तिवारी   

Views: 601

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2013 at 11:09am

रचना में आजकी विसंगतियों पर कविमन की अकुलाहट साफ़ दीखती है. आपकी संवेदना को मेरी शुभकामनाएँ.

शुभेच्छाएँ

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 9, 2013 at 12:07am

आदरणीय शुसील जी आपने रचना को इतना स्नेह दिया है यह मेरा  सौभाग्य है ........धन्यवाद

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 9, 2013 at 12:03am

आदरणीय   गिरिराज  जी आप का स्नेह और आशीर्वाद में हमारे रचना की सफलता है आभार .....धन्यवाद

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 9, 2013 at 12:00am

आदरणीय अखिलेश जी आप सभी के आशीष और स्नेह में हमारी प्रगति है… आभार

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 8, 2013 at 11:57pm

"एक एक पंक्ति महत्वपूर्ण है, हर संवेदना अब सिर्फ चूर्ण है!" आदरणीय जवाहर जी महत्व पूर्ण टिप्पणी के लिए धन्यवाद आभार .....

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 8, 2013 at 11:55pm
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 8, 2013 at 10:42pm

वर्तमान परिस्थिति को आपने बहुत ही सुन्दरता से उकेरा है, बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति आदरणीय बहुत बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 8, 2013 at 8:57pm

संवेदना मेरे मन में नहीं 
तुम्हारे मन में नहीं 
हम सबके मन में नहीं 
पर हिन्द का मन अति संवेदनशील है 
इसलिए आज हिंदुस्तान रो रहा है .........

एक एक पंक्ति महत्वपूर्ण है, हर संवेदना अब सिर्फ चूर्ण है!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 8, 2013 at 10:25am

 बधाई दिलीप तिवारीजी । आदमी सिकुड़ गया है, इसलिए संवेदनाहीन हो गया है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 8, 2013 at 7:29am

आदरणीय दिलिप भाई , आज की स्थिति का बहुत वास्तविक और अच्छा चित्रण किया आपने !!!!! बहुत बहुत बधाई !!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आ. अजय जी,ग़ज़ल के जानकार का काम ग़ज़ल की तमाम बारीकियां बताने (रदीफ़ -क़ाफ़िया-बह्र से इतर) यह भी है कि…"
6 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"बहुत ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय एक  चुप्पी  सालती है रोज़ मुझको एक चुप्पी है जो अब तक खल रही…"
56 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"आदरणीय अशोक रक्ताले जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया से सोच को नव चेतना मिली । प्रयास रहेगा…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं आपके कथन का पूर्ण समर्थन करता हूँ आदरणीय तिलक कपूर जी। आपकी टिप्पणी इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"धन्यवाद आ. दयाराम मेठानी जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. बृजेश जी "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. बृजेश कुमार जी.५ वें शेर पर स्पष्टीकरण नीचे टिप्पणी में देने का प्रयास किया है. आशा है…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आपकी विस्तृत टिप्पणी से ग़ज़ल कहने का उत्साह बढ़ जाता है.तेरे प्यार में पर आ. समर…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. गिरिराज जी "
3 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह-वह और वाह भाई दिनेश जी....बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बधाई.... "
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service