For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले

1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2  2

चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//


बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //


भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//

शहादत व्यर्थ उनकी यूँ नहीं अब तुम करा देना
नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//


वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम
सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //

सनम जो देश को समझो तभी नजरे इनायत हो
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //

           .....................................
................मौलिक व अप्रकाशित...............

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MAHIMA SHREE on October 4, 2013 at 10:39pm

चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//


बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //


भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//... आ. सरिता जी सुंदर प्रस्तुती है ..बधाई आपको

Comment by बृजेश नीरज on October 4, 2013 at 10:21pm

वाह! बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 4, 2013 at 10:09pm

सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //

बधाई सरिता जी सुंदर , भावपूर्ण  शब्दों के लिए ।

Comment by Sushil.Joshi on October 4, 2013 at 9:21pm

वाह वाह... बहुत सुंदर आदरणीया सरिता जी..... खूबसूरत एवं देशभक्ति से सराबोर इस गज़ल के लिए हार्दिक बधाई.... बाकी गज़ल की शिल्प का ज्ञान मुझे नहीं है... उसके लिए अनेक बंधुओं ने अपने विचार व्यक्त कर ही दिए हैं....

Comment by annapurna bajpai on October 4, 2013 at 9:21pm

शहादत व्यर्थ उनकी यूँ नहीं अब तुम करा देना 
नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//................................. काश !! ऐसा ही होता ! 

सनम जो देश को समझो तभी नजरे इनायत हो 
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //........................ काश !! ऐसा ही हो । 

सुंदर संदेश युक्त रचना बधाई आपको आ0 सरिता जी । 

Comment by वेदिका on October 4, 2013 at 8:41pm

चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//

वाह बहुत सुंदर गजल हुयी हैं !! बधाई !!

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 4, 2013 at 8:32pm

वाह ! वाह ! दिल बाग़ बाग़ हो गया आपको लाखो बधाईयाँ 

Comment by Kapish Chandra Shrivastava on October 4, 2013 at 8:02pm

    वाह ! क्या बात  कही है आदरणीया सरिता जी " वफ़ा कैसे निभानी सीख लो अपने वतन से तुम । सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले " बड़ी अनमोल पंक्ती है । कृपया बधाई स्वीकारें इस रचना के लिए । 

Comment by Meena Pathak on October 4, 2013 at 7:27pm

बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था 
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //.............बहुत बढियाँ गज़ल .. बधाई आ० सरिता जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 4, 2013 at 6:32pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत अच्छी गज़ल कही है आपने बहुत बधाई !!!!!!!!! आदरणीय अरुण भाई की सलाह पर ज़रूर विचार करें !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service