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कुण्डलियाँ [ जीवन ]

जीवन के पथ हैं सरल ,अगर सही हो सोच
जीवन की इस दौड़ में ,आती रहती मोच /
आती रहती मोच ,बैठ कर रुक मत जाना
आगे की लो सोच लक्ष्य जल्दी यदि पाना
अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं
यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं//

..........................

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by बृजेश नीरज on October 2, 2013 at 12:31pm

आदरणीया सरिता जी, आप कृपया छंद विधान समूह में सम्बंधित पोस्ट और उसमें दिए उदाहरण देख लें.

सादर!

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:33am

आदरणीय शीज्जू जी शुक्रिया आपको मेरे प्रयास पसंद आ रहे हैं 

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:31am

अरुण ह्रदय से आपकी हमेशा हि आभारी हूँ , आपको अस्वस्थ क्यों किया मेरी रचना ने plz  बताएं  आपको जल्दी स्वस्थ देखना चाहती हूँ 

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:28am

आदरणीय ब्रिजेश जी हार्दिक आभारी हूँ आपकी यथोचित गलतियाँ इंगित करने  से मेरी रचनाओं में हमेशा ही सुधार हुआ है

लेकिन यहाँ तक मैं जानती हूँ कुण्डलिया में जिस शब्द या शब्द-समूह से यह प्रारंभ होता है उसी शब्द या शब्द-समूह से इसका समापन भी किया जाता है  | कृपया अगर मुझे फिर भी गलती लग रही है तो कृपया बता दें ,हार्दिक धन्यवाद 

Comment by Sarita Bhatia on October 2, 2013 at 9:13am

आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत शुक्रिया 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 2, 2013 at 7:38am

आदरणीया सरिता जी निस्संदेह आपकी हर विधाओं में उपस्थिति आपकी मेहनत और सीखने की ललक को दर्शाता है, इस खूबसूरत संदेश देती कुण्डलिया छंद के लिये बधाई स्वीकार करें, और शेष आदरणीय बृजेश जी ने कह ही दिया है

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 1, 2013 at 9:40pm

आदरणीया सरिता जी आपकी इस कुण्डलिया छंद ने मुझे काफी हद तक अस्वस्थ किया है आपका यह प्रयास बहुत पसंद आया कथन और गेयता पर आप ध्यान देने लगी हैं तनिक श्रम की आवश्यकता और है. इस सुन्दर प्रयास पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें .

Comment by बृजेश नीरज on October 1, 2013 at 9:15pm

आदरणीया सरिता जी बहुत सुन्दर कुण्डलियाँ रची हैं आपने! आपको हार्दिक बधाई!

जहाँ तक मुझे पता है कुंडलियों में एक विशेषता होती है- ये जिस शब्द से प्रारंभ होती है, उसी शब्द से इसका समापन होना चाहिए. इस लिहाज़ से आपकी कुण्डलियाँ 'जीवन' शब्द से समाप्त होनी चाहिए. वैसे आप स्वाम जानकर हैं.

अंतिम पंक्ति में गेयता बाधित है. कृपया इसे देख लें.

सादर!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 1, 2013 at 9:12pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत अच्छी कुंडलिया छन्द की रचना की है आपके !!!! बधाई !!!

Comment by Sarita Bhatia on October 1, 2013 at 9:10pm

आदरणीय रविकर sir आपकी उत्साहित टिप्पिनी से मन प्रसन्न हो गया 

कृपया ध्यान दे...

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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