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संवेदनाओं के 

अंतर गुन्जन पर 

भाव लहरियों का 

निःशब्दित नृत्य..

इस ओर से उस छोर 

उस छोर से इस ओर

विलयित तटबन्ध..

लहर लहर मन 

आनंदित 'नील सागर'

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1162

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 2, 2013 at 4:47pm

विचारों के उफनते लहरों को कम शब्दों में समेट देना आसान नहीं हुआ करता, किन्तु इस रचना की कामयाबी यही है कि कोई शब्द अथवा शब्द समूह निरर्थक नहीं हैं, बहुत ही खुबसूरत रचना हुई है आदरणीया डॉ प्राची जी, बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें । 

Comment by Neeraj Neer on October 2, 2013 at 4:09pm

बहुत गहन भाव लिए एवं सुन्दर शब्द संयोजन के साथ आपकी उत्कृष्ट कविता के लिए बधाई . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 2, 2013 at 3:07pm

आदरणीया प्राची जी, सदा की भाँति नि:शब्द करती आपकी पंक्तियों को नमन. प्रेमातिरेक की इससे उत्तम परिभाषा और भला क्या हो सकती है ?

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 2, 2013 at 2:20pm

अति गूढ़ अर्थ लिए हुए इस रचना पर ढेर साड़ी बधाईयाँ आपको 

Comment by annapurna bajpai on October 2, 2013 at 2:18pm
आदरणीया प्राची जी बहुत सुंदर भाव , शब्दों का संजयोजन सभी कुछ सुंदर , आपको बधाई इस रचना हेतू ।
Comment by अरुन 'अनन्त' on October 2, 2013 at 2:15pm

आदरणीया प्राची दीदी बेहद सशक्त प्रभावशाली रचना अंतस ह्रदय में निहित सुकोमल भावनाओं को अत्यंत सुन्दर शब्द प्रदान किये हैं आपने, प्रत्येक पंक्ति गहन भाव लिए हुए है. दीदी इस सुन्दर सृजन हेतु हृदयतल से ढेरों बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 12:45pm

रचना पर आपकी बहुमूल्य सराहना और शुभकामनाओं के लिए हृदय तल से धन्यवाद आदरणीय राजेश कुमारी जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 12:44pm

अभिव्यक्ति की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद आ० जितेन्द्र जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 12:42pm

आदरणीय संजय मिश्रा जी 

प्रस्तुति आपको पसंद आ सकी... यह जानना संतोष प्रदान करता है

हार्दिक आभार 

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 2, 2013 at 12:40pm

रचना के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आ० सरिता भाटिया जी 

कृपया ध्यान दे...

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