For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (१) : आशिक़ी मौत से बदतर है !

आज फिर याद कई, ज़ख्म पुराने आये

धड़कने बंद करो, शोर मचाने आये//१

.

लेके मरहम न सही, हाथ में गर खंजर हो  

हक़ उसी को है, मेरा दर्द बढ़ाने आये//२

.

इश्क़ में आह की दौलत के, बदौलत हम हैं   

कोई तो हो जो मेरा, ज़ख्म चुराने आये//३ 

.

रोते-रोते ही कहा, मुझको मुआफ़ी  दे दो 

अश्क़ अपना जो, समंदर में छुपाने आये//४

.

कम चरागें न जलाई थी, तेरी यादों की  

जल रहा दिल है, उसे कोई बुझाने आये//५

.

आशिक़ी मौत से बदतर है, बता दूं न कहीं 

सोचकर लोग यही, मुझको मनाने आये//६

.

दर्द हो, ज़ख्म हो, आँसू हो मेरे दामन में

कोई ऐसे भी कभी, मुझको सताने आये//७ 

.

खौफ़ है, जुर्म है, ‘इंसान’ बने रहना भी

है जो क़ुव्वत तो मुझे, ज़िद से हटाने आये//८

.

‘नाथ’ कहता है भला, कौन बचा है इससे

मौत आनी है, किसी भी वो बहाने आये//९

.

"मौलिक व अप्रकाशित"

वज्न : आज-21/फिर-2/याद-21/कई-12/ज़ख्म-21/पुराने-122/आये-22 [2122-1122-1122-22]

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vandana on September 24, 2013 at 7:17am

रोते-रोते ही कहा, मुझको मुआफ़ी  दे दो 

अश्क़ अपना जो, समंदर में छुपाने आये/

बहुत खूब आदरणीय 

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on September 23, 2013 at 6:22pm

नमन एवं बहुत बहुत शुक्रिया श्री अरुण शर्मा 'अनंत' साहब, डॉ अनुराग सैनी साहब.... यह ग़ज़ल ख़ुद को गौरवान्वित महसूस कर रही होगी आप गुणीजनों के स्नेहाशीष से....लिखना सार्थक हुआ......पुनश्च: नमन !!!!!!!!

Comment by vijay nikore on September 23, 2013 at 6:20pm

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on September 23, 2013 at 6:11pm

बहुत बहुत शुक्रिया रविकर साहब, आशीष नैथानी 'सलिल' साहब, बसंत नेमा जी, भाई बैद्यनाथ जी, अभिनव अरुण साहब, गिरिराज भंडारी साहब, जितेन्द्र 'गीत' साहब, वीनस केसरी साहब, सुरेन्द्र कुमार शुक्ल 'भ्रमर' साहब आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ...निश्चित ही आपका यह प्रोत्साहन, यह हौसला-आफज़ाई किसी न किसी मायने में, किसी न किसी अच्छी रचना के रूप में  निश्चितरूपेण निखर कर सामने आएगा...शुक्रिया आप सभी महानुभावों की मुहब्बतों का....चरण वंदन.......!!!        

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on September 23, 2013 at 6:02pm

बहुत बहुत शुक्रिया अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब......आपका सुझाव बहुत उचित लगा, अतएव मैंने सुधार भी कर दिया है...हालाँकि मैंने पहले पहल जब आशिक़ी मौत से बदतर है, बता दूंगा मैं लिखा था तो इससे यह जाहिर हो रहा था जैसे निश्चित ही मैं बताने जा रहा हूँ...तो काफ़िया जलाने .भी उचित हो सकता था..जब मैंने आशिक़ी मौत से बदतर है, बता दूं ना मैं लिखा तो लगा शायद मैं बता दूं लोगों को ऐसा शक़ जाहिर हो रहा है की तरफ इशारा था....इसीलिए मैंने काफ़िया मनाने .का प्रयोग किया है ........बहरहाल आपके उचित मार्गदर्शन का सदैव अभिलाषी हूँ.......बेहिचक ख़ामियां बताते रहे...आजीवन आभारी रहूँगा..........नमन सहित !!! 

Comment by अरुन 'अनन्त' on September 23, 2013 at 6:02pm

वाह वाह भाई जी क्या कहने लाजवाब ग़ज़ल क्या कहने बहुत खूब सभी अशआर बेहद शानदार कहें है भाई जी इन अशआरों के विशेष तौर से बधाई स्वीकारें.

दर्द हो, ज़ख्म हो, आँसू हो मेरे दामन में

कोई ऐसे भी कभी, मुझको सताने आये//७ 

.

खौफ़ है, जुर्म है, ‘इंसान’ बने रहना भी

है जो क़ुव्वत तो मुझे, ज़िद से हटाने आये//८

.

‘नाथ’ कहता है भला, कौन बचा है इससे

मौत आनी है, किसी भी वो बहाने आये//९

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 23, 2013 at 5:40pm

एक मुकम्मल गजल के लिए दिल से शुक्रिया आपका !

Comment by रविकर on September 23, 2013 at 12:24pm

बढ़िया ग़ज़ल-

आदरणीय
शुभकामनायें-

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on September 23, 2013 at 10:29am

इश्क़ में आह की दौलत के, बदौलत हम हैं   

कोई तो हो जो मेरा, ज़ख्म चुराने आये ||

वाह बढ़िया ग़ज़ल भाई रामनाथ जी !

Comment by बसंत नेमा on September 23, 2013 at 10:22am

आ0 रामनाथ जी स्वागत है आप का ओबीओ पर ...लाजबाब गजल .. बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service