For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुझको देखूं, तुझे चाहूँ, तुझी से प्यार करूँ...

तुझको देखूं, तुझे चाहूँ, तुझी से प्यार करूँ । 

तेरे सिवा न किसी पर भी ऐतबार करूँ ॥ 

तू न आई है, ना आएगी, मेरे मिलने को । 

ये जानकर भी, मै बस तेरा इंतज़ार करूँ ॥

तू पशेमा नहीं होती है, बेवफा होकर । 

मै  वफ़ा करके भी, अपने को शर्मसार करूँ ॥ 

तेरी रातें तो महकती हैं गुलाबों की तरह । 

अपनी रातों को बता कैसे लालाज़ार करूँ ॥ 

नींद उड़ जाए तेरी, जब भी मेरा नाम आये । 

मै  चाहता हूँ तुझे, कुछ  ऐसे बेक़रार करूँ ॥ 

दर्द बढ़ जाता है हद से, जो तेरी यादों का । 

जी में आता है इस दिल को जला दूँ, इसे अंगार करूँ ॥ 

हसरत-ए -वीर यही है मेरे मालिक तुझसे । 

दम-ए -आखिर तलक, चाहूँ मै उसे प्यार करूँ ॥ 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 908

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 12, 2013 at 12:00am

पुरानी रचनाएँ रचनाकार के हृदय के निकट होती हैं. किन्तु, अधबना पकवान भले कितना ही ’प्यारा’ क्यों न हो, कुशल रसोइया उसे समाज के लोगों में नहीं बाँटता. ऐसा कोई प्रयास सीखने के क्रम में सोपान का पायदान मात्र होता है.

शुभ-शुभ

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 11, 2013 at 7:01pm

आदरणीय Dr.Prachi Singh जी बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल के भाव समजने और उत्साहवर्धन के लिए ... मैंने अभी अभी सीखना शुरू किया है ये तो बस भावनाओ के प्रवाह थे  जो शब्दों में ढलते चले गये ... ये जाने बगैर की किस विधा में जा रहे हैं । अब सीख रहा हूँ तो समझ आता है कितने ऐब हैं इन रचनाओं में ... मगर जो निकल चुकी हैं उनको सही करता हूँ तो उस वक्त के शक्श की  भावनाएं रूठ जाती है ... पर आप लोगों के आशीर्वाद से सीख जाने के बाद जो रचनाएँ होंगी .. शायद वो त्रुटिमुक्त हो सकें ... पुनः धन्यवाद आपके प्रभावी सन्देश और पथप्रदर्शन के लिये।   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 11, 2013 at 2:49pm

बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति आ० अनिल चौहान जी 

खूबसूरत भाव ...तदनुरूप प्रवाहित होते जाते सुन्दर शब्द ... सुन्दर कशिश  वाह!

सिर्फ गज़ल का अनुशासित शिल्प भी यदि इसे मिल जाए तो अभिव्यक्ति का सौंदर्य पूर्ण हो जाए 

बहुत बहुत शुभकामनाएँ 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 11, 2013 at 2:48pm

आदरणीय annapurna bajpai जी बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

Comment by annapurna bajpai on September 11, 2013 at 1:03pm

बढ़िया , लाजवाब गजल बहुत बधाई आपको । 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 9, 2013 at 7:00am

आदरणीय  बृजेश नीरज  जी  बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए, जहाँ तक मै  सोचता हूँ ये ग़ज़ल ही है या यूँ कहें भावनाओं की अभिव्यक्ति ।  बहर और व्याकरण का बहुत कम ज्ञान है मुझे, यदि आपका आशीर्वाद रहा तो शायद ये भी सीख जाऊं । कोई त्रुटी हो तो ज़रूर आभास कराएँ मुझे ... एक बार फिर आपका शुक्रिया ...   

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 9, 2013 at 6:51am

आदरणीय vijay nikore   जी  बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 9, 2013 at 6:51am

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी  बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 9, 2013 at 6:50am

आदरणीय रविकर   जी  बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए 

Comment by Anil Chauhan '' Veer" on September 9, 2013 at 6:50am

आदरणीय  Meena Pathak  जी  बहुत बहुत शुक्रिया उत्साहवर्धन के लिए :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
8 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
16 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन....दोष तो दोष है उसे स्वीकारने और सुधारने में कोई संकोच नहीं है।  माफ़ी…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service