For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा: थोड़ी सी प्यास

किसान हीरा की पत्नी घाट से जो मटका भर कर लाती थी, उसमें छोटा सा छेद हो गया था| उस पर हाथ रखते रखते भी पानी ज़मीन पर गिर ही जाता| जैसे तैसे वो पानी लेकर आती थी|

उसने अपने पति से इस बात की शिकायत की कि, अब इस मटके से पानी भरना संभव नहीं है, आप नया मटका ले आओ| हीरा थोड़ा व्यस्त था, जब तक वो नया मटका खरीदता, तब तक पुराने मटके का छेद काफी बढ़ गया और बहुत सारा पानी तो रास्ते में ही गिर जाता|

नया मटका आते ही पुराना मटका हीरा की पत्नी ने बाहर फैंक दिया, वहां काफी कीचड़ थी, उसमें मटका घुल गया| मटके के गिरे हुए पानी ने धरती की शायद थोड़ी सी प्यास बुझाई थी, इसलिये धरती ने अपनी गोद में जगह दे दी...

थोड़ी सी प्यास बुझाने का क़र्ज़ चुकाया....शायद यही अंतर है, प्रकृति और इंसान में !

 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 535

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 26, 2013 at 11:53pm

सौरभ पाण्डेय जी सर बहुत शुक्रिया, सही कहा आपने मान्य कहाँ हो पता है, लेकिन ये कलम ही है जो कभी ना कभी मनवा के रहेगी| बस अच्छे लोगो के आशीर्वाद की ज़रुरत है|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 11, 2013 at 3:01pm

अंतर स्पष्ट है लेकिन मान्य कहाँ हो पाता है. 

बढिया प्रयास हुआ है. 

बधाई

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 5, 2013 at 3:58pm

मीना पाठक जी, आपकी बधाई के लिए ह्रदय से आभार 

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 5, 2013 at 3:57pm

अरुन शर्मा जी, आपका तहे दिल से शुक्रिया

Comment by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on August 5, 2013 at 3:57pm

आदरणीय बृजेश नीरज जी, आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ. 

Comment by Meena Pathak on August 5, 2013 at 1:26pm

सुन्दर लघुकथा .. हार्दिक बधाई 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 5, 2013 at 12:42pm

शिक्षाप्रद लघु कथा बहुत ही सुन्दर हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by बृजेश नीरज on August 4, 2013 at 6:49pm

अब क्या कहूं। आपके इस सुन्दर प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service