For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212221222122212 

 

हक़ किसी का छीनकर, कैसे सुफल पाएँगे आप?

बीज जैसे बो रहे, वैसी फसल पाएँगे आप।

 

यूँ अगर जलते रहे, कालिख भरे मन के दिये,

बंधुवर! सच मानिए, निज अंध कल पाएँगे आप।

 

भूलकर अमृत वचन, यदि विष उगलते ही रहे,

फिर निगलने के लिए भी, घट- गरल पाएँगे आप।

 

निर्बलों की नाव गर, मझधार छोड़ी आपने,

दैव्य के इंसाफ से, बचकर न चल पाएँगे आप।

 

प्यार देकर प्यार लें, आनंद पल-पल बाँटिए,

मित्र! तय है, तृप्त मन, आनंद-पल पाएँगे आप।

 

शुद्ध भावों से रचें, कोमल गज़ल के काफिये,

क्षुब्ध मन के पंक में, खिलते कमल पाएँगे आप।

 

याद हो वेदों की भाषा, मान संस्कृति का भी हो,

हे मनुज! सम्मान का, विस्तृत पटल पाएँगे आप।   

 

मौलिक व अप्रकाशित

कल्पना रामानी

Views: 1445

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on July 26, 2013 at 1:58pm

वंदना जी, आत्मीय प्रशंसा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

Comment by Vindu Babu on July 26, 2013 at 12:52pm
परम् आदरणीया कल्पना दीदी सादर नमन्!
शुद्ध हिंदी शब्दों से सजी गज़ल पढ़कर मन झूम उठा। कितनी मौलिकता है आपकी रचना में,उत्तम शिल्प के बाद भी!
आपकी उंगली पकड़ कुछ कदम चलने का मन करता है आदरेया।
यह गहन रचना प्रदान करने के लिए आपका बहुत आभार।
सादर
Comment by कल्पना रामानी on July 26, 2013 at 12:16pm

आदरणीय, श्याम नरेन जी, अरुण अंबर जी,नीरज मिश्रा जी,  अरुण अनंत जी, आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद। आप सबके सम्मान और स्नेह से ही ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है और आगे बढ्ने की प्रेरणा मिलती है।

सादर

Comment by कल्पना रामानी on July 26, 2013 at 12:12pm

आदरणीय विजय मिश्र जी, आपका हार्दिक आभार...

Comment by कल्पना रामानी on July 26, 2013 at 12:11pm

आहा, इत्ती सुंदर टिप्पणियाँ!!!मेरी तो आप सबने पुरस्कारों से झोली भर दी है।सिर्फ एक घंटे सुबह टहलते हुए मन ही मन सारे भाव बाँधकर सीधे टाइप करके पोस्ट कर दी। जल्दबाज़ी की आदत हमेशा से है सोचा बाद में संशोधन करती रहूँगी। हर रचना में कुछ न कुछ बदलती रहती हूँ और एडमिन जी को परेशान करती हूँ। वीनस जी आपका हृदय से धन्यवाद.....

Comment by विजय मिश्र on July 26, 2013 at 11:26am
"हिन्दी तत्सम शब्दों के साथ उर्दू अल्फाज़ के अनगढ़ प्रयोग से लाख गुना बेहतर है कि हम ऐसी ग़ज़ल कहने का प्रयास करें ...." -- वीनसजी ने सटिक मूल्याँकन कर इस कविता सह गजल को उचित मान दिया एवं अन्य वरीय सदस्यों ने जो सराहना कियी ,उसे पढकर ही मन तृप्त हो गया और पहली बार मंच पर आलोचना की भी सशक्त आलोचना हुई हैं और वह भी एक प्रयोगधर्मि रचना पर .कल्पनादीदी! यू आर सिम्पली ग्रेट ! आप रचना में ही नहीं ,व्यक्तित्व और सांसारिकता में भी निश्चित रूप से महान हो -ऐसे भाव आपको पढकर मानस-पटल पर उगते हैं .प्रणाम .
Comment by वीनस केसरी on July 26, 2013 at 3:33am

सच कहूँ तो दो बार आया और मतले के आगे नहीं बढ़ सका ...
बेहद सधा हुआ सटीक मतला ... घिसा पिटा मजमून ... और आपने ऐसे बाँधा है कि दिल अश - अश कर उठा ...
लाजवाब कर दिया
और अभी जब आगे बढ़ा तो मुकम्मल ग़ज़ल ने बाँध लिया ...
सच ऐसी उम्दा ग़ज़ल जिसका हर शेर लाजवाब करने की कूवत रखता हो ....
बहुत दिनों के बाद पढ़ने को मिली ऐसी शानदार ग़ज़ल

बेशक इस ग़ज़ल से नए पुराने सभी लोग बहुत कुछ सीख सकते हैं ....
हिन्दी तत्सम शब्दों के साथ उर्दू अल्फाज़ के अनगढ़ प्रयोग  से लाख गुना बेहतर है कि हम ऐसी ग़ज़ल कहने का प्रयास करें ....
मुझे खुद बहुत कुछ सीखने को मिला है इस ग़ज़ल से
आपका ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ

-=-=================================


केतन जी का कमेन्ट पढ़ कर बहुत दुःख हुआ ...
बिना सोचे समझे और ये विचार किये कि मंच पर एक शानदार रचना के साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए अपनी अल्प जानकारी के साथ ऐसी शानदार ग़ज़ल को बेबहर घोषित कर देना ... आह ... कैसा ह्रदय विदारक दृश्य प्रस्तुत करता है
केतन जी आपसे निवेदन है कि ऐसी घोषणाओं से बचें और अपनी जानकारी बढाने के प्रति और उत्सुक हो जाईये 
अध जल गगरी को छलकाने से आपकी कमियां ही उजागर होंगी ....

आप कहते हैं कि ग़ज़ल से सम्बन्धित लेखों को आप बहुत ध्यान पूर्वक पढते हैं मगर अब मुझे आपकी कही यह बात बिलकुल असत्य प्रतीत हो रही है

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 25, 2013 at 10:14pm

वाह वाह वाह लाजवाब शानदार धारदार ग़ज़ल सभी के सभी अशआर सीधे दिल को छू गए, हार्दिक बधाई के साथ साथ दिल से ढेरों दाद भी कुबूल फरमाएं.

Comment by Neeraj Nishchal on July 25, 2013 at 10:07pm
Sach me bahut hi khoobsurat
Comment by arvind ambar on July 25, 2013 at 4:43pm

बधाई बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
22 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
22 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
22 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
22 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
23 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
23 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वैशाख अप्रैल में आता है उसके बाद ज्येष्ठ या जेठ का महीना जो और भी गर्म होता है  पहले …"
23 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"सहृदय शुक्रिया आ ग़ज़ल और बेहतर करने में योगदान देने के लिए आ कुछ सुधार किये हैं गौर फ़रमाएं- मेरी…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई जयनित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आ. भाई संजय जी, अभिवादन एवं हार्दिक धन्यवाद।"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service