For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! चौपाई !!!

//प्रत्येक चरण में 16 मात्राएं, अन्त में दो गुरू या एक गुरू दो लघु होता है। जगण-121 तथा तगण-221 निषेध है//

मेघ तुम्हारा तन है काला।
मन है निर्मल गंगा वाला।!

चाल तुम्हारी गड़बड़ झाला।
बोल कड़क बिजली भय वाला।।

बरसे झम-झम हवा झकोरे।
रिसता तरल अमी वन भोरे।।

खेत खलिहान हुए विभोरे।
कृषक चले तन हल धर जोरे।।

हरषे रिम-झिम सावन जैसे।
छपरा झर-झर झरता तैसे।।

विरहनियां मन एक अकेली।
भीगे घर-तन हाय! सहेली।।

के0पी0सत्यम/मौलिक व अप्रकाशित

Views: 862

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 28, 2013 at 9:24pm

आ0 सौरभ सर जी, सादर नमन!
बोल कड़क बिजली भय वाला का क्या अर्थ ? इसलिये पूछ रहा हूँ कि व्याकरण के लिहाज से कुछ बात बन नहीं रही है.........बातें कर्कश, बिजली की तरह डराने वाला।
दूसरे, खेत - खलिहान कहने में ठीक है लेकिन खेत के त्रिकल के बाद खलिहान के खलिहा का चौकल लय भंग की स्थिति बना रहा है...---.खेत + खलि + हान------- मेरा यही आशय था।
एक बात:
//जगण.121 तथा तगण.221 निषेध है//......... सर जी!  मेरा आशय चरण के अन्त में था।
चौपाई में कहाँ? किस स्थान पर जगण और तगण निषेध है? यदि पद में कहीं भीए तो फिर जय कपीश तिहुँ लोक उजागर में कपीश क्या है?
आपके स्नेह, आशीष और उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 28, 2013 at 8:42pm

आ0 अन्नपूर्णा जी,   उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 28, 2013 at 8:42pm

आ0 बृजेश भाई जी,   उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।  सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 24, 2013 at 10:18am

भाईजी,  भाव दशा से इ सुन्दर प्रयास के लिए बधाई.

बोल कड़क बिजली भय वाला का क्या अर्थ ? इसलिये पूछ रहा हूँ कि व्याकरण के लिहाज से कुछ बात बन नहीं रही है. दूसरे, खेत-खलिहान कहने में ठीक है लेकिन खेत के त्रिकल के बाद खलिहान के खलिहा का चौकल लय भंग की स्थिति बना रहा है.

एक बात:

//जगण-121 तथा तगण-221 निषेध है//

चौपाई में कहाँ ? किस स्थान पर जगण  और तगण निषेध है ?  यदि पद में कहीं भी, तो फिर जय कपीश तिहुँ लोक उजागर  में कपीश क्या है ?

Comment by annapurna bajpai on July 23, 2013 at 7:31pm

adarniy kewal bhai ji , khubsurat chaupaiyon ke liye badhai .

Comment by बृजेश नीरज on July 22, 2013 at 8:04pm

आदरणीय केवल जी इस सुन्दर रचना पर आपको हार्दिक बधाई!

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 20, 2013 at 7:41pm

आ0 जितेन्द्र भाई जी,  आपके स्नेह और रचना अनुमोदन के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 20, 2013 at 7:40pm

आ0 अभिनव भाई जी,  आपके स्नेह और रचना अनुमोदन के लिए आपका बहुत-बहुत हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 20, 2013 at 7:38pm

आ0 श्याम नारायण भाई जी,  आपके स्नेह और रचना अनुमोदन के लिए आपका हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 20, 2013 at 5:41pm

"खेत खलिहान हुए विभोरे।
कृषक चले तन हल धर जोरे।।"...आदरणीय..केवल जी, सुंदर अति सुंदर चौपाईयां....हार्दिक बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
4 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
13 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service