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सरस्वती आराधना /दिलीप तिवारी

वीणाधारी  विद्यावाली , मातु शारदे तुम्हे नमन i 
शव्द अर्थ के पुष्पों का ,व्याकरण बना तुमको अर्पण i i 
संज्ञाए सेवाये करती ,सर्वनाम तेरे अनुचर i
क्रिया विशेषण की तारों से ,निकले वीणा के स्वर i i
नवरस के घुगरू प्यारे अलंकार  की है झांझर i
काव्य गद्य श्रगारित तुमसे ,गीतवना  महिमा गाकर i i
अनुपम छटा सवाँरे  ,भाषाए है चरणो पर i
आलोडित मन मंदिर मेरा नेह सुधा तेरी पाकर i i
मुझको तेरा वरदान मिले ,चरणों में तेरे स्थान मिले i 
शीख रहा माँ कविता  करना ,अंतर मन से कुछ ज्ञान मिले  i i
मन मानस की सुन्दरता हो माँ हो तुम प्यारी ममता हो  i
बेटे तेरे कवी बने उनकी आराधित तुम  कविता हो  i i
गाथाएँ  तेरी प्रेरित है भाव व्यंजना भरी हुई i
कविता जीवित कृपा तुम्हारी , पड़ी हुई थी मरी हुई  i i
माँ सुन्दर ज्ञान विधानबना ,सच्चा हिंदुस्तान बना  i
हिंदी भाषा का सम्मान जगा भाषाओ की शान बना  i i
प्रजातंत्र  की राहों का जन, गण, मंगल ,गान  बना  i
फिर कवीर दोहे हो ,सूरदास की तान बना  i i
तुलसी की चौपाई से रामचरित का ज्ञान बना  i
प्रगति पंथ की रहो में  जीवन गीता का सारबना i  i
फिर जन जन में सच्चाई हो ,हर मजहव भाई -भाई हो i
जाति -पांति की तोड़ दीवारे हे माँ सुन्दर संसार बना  i i

मौलिक /अप्रकाशित
दिलीप तिवारी






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Comment

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Comment by दिलीप कुमार तिवारी on July 16, 2013 at 10:14pm

माँ सरस्वती के सभी बरदपुत्रों को सादर प्रणाम रचना को  सराहने के लिए धन्यवाद टाइप के माध्यम का सही उपयोग न कर पाने के कारन वर्तनी संबधी त्रुटियों के लिए माफ़ी चाहता हूँ i


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 16, 2013 at 8:56pm

माँ  की चरणों में अर्पित यह रचना अच्छी हुई है, वर्तनी सम्बंधित त्रुटियों को एक बार अवश्य देख लें, इस अभिव्यक्ति पर बहुत बहुत बधाई प्रेषित करता हूँ ।  

Comment by वेदिका on July 16, 2013 at 1:12pm

माँ सरस्वती की कृपा को बहुत ही अच्छे से अपने विस्तार दिया। सच ही तो एक एक स्वर, आखर, गूंज, उनकी ही देन है। आपकी पवित्र रचना को नमन आदरणीय दिलीप जी!!  

Comment by Shyam Narain Verma on July 16, 2013 at 9:47am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 15, 2013 at 9:32pm

आदरणीय दिलीप तिवारी जी सादर सुन्दर रचना, माँ शारदा को नमन. बहुत अच्छी आराधना,बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.  इसमें मुझे  दो  रचनाओं का मेल जैसे लगा. इतनी सुन्दर रचना में टंकन त्रुटियों ने बहुत निराश किया. कृपया इस पर अवश्य ध्यान दें.

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