For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता :- माफ करना स्वस्तिका

कविता :- हमें माफ करना स्वस्तिका

हमें माफ करना स्वस्तिका

हमने भुला दी है इंसान होने की संवेदना

अब हमें तुम्हारे बलिदान सी घटनाएं नहीं हिलाती

सत्ता और संसार सभी चलते रहते अपनी राह

कोई नहीं ग्रस्त होता तुम्हारी हत्या के अपराध बोध से

कौन जान सकता है तुम्हारी आत्मा की पीड़ा

कि तुम् नहीं देख सकी दूसरे जन्मदिन के गुब्बारे

दोस्तों संग नहीं काट-बाट सकी केक

और समय से पहले ही बुझ गयी तुम्हारे जीवन की मोमबत्ती

धरी की धरी रह गयी माता पिता की तैयारियां |

हमें माफ करना स्वास्तिका

कि गंगा तट की सीढियां गवाह बनी इस अमानवीय कृत्य की

तुम नहीं देख सकी गंगा आरती की भव्यता

और अब सियासतदां देख रहे हैं अवशेष

शैतानी सभ्यता के

कर रहे जुबानी जमा खर्च

तुमपर और तुम्हारे जीवन के अनजीये दिनों पर

अब तो तुम्हे भूल गए हैं खबरिया चैनेल भी

तुम जिनकी ब्रेकिंग न्यूज बन बढ़ा गयी थी टी.आर.पी.

अखबार के वे पन्ने भी पहुँच गए परचून कि दूकान

तुम जिनपर छाई थी |

हमें माफ करना स्वस्तिका

कि हम भूल गए हैं कि हम इंसान बन पैदा हुए

कहने को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना |

Views: 701

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on December 21, 2010 at 2:46pm

लता जी और , मदन जी आपके कमेन्ट इस रचना को सार्थक बनाते हैं मैं आभारी हूँ |

Comment by Lata R.Ojha on December 21, 2010 at 1:56pm

अब तो तुम्हे भूल गए हैं खबरिया चैनेल भी

तुम जिनकी ब्रेकिंग न्यूज बन बढ़ा गयी थी टी.आर.पी.

अखबार के वे पन्ने भी पहुँच गए परचून कि दूकान

तुम जिनपर छाई थी |

आज के दौर का ओछा सच है ये..मानवता तो सब कब के भूल गये हैं अब तो घड़ियाली आँसू भी सूखते जा रहे..और
"कहने को ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना'
अरुण जी उस दुखद और शर्मनाक घटना को आपने बेहद मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है.
Comment by madan kumar tiwary on December 20, 2010 at 6:48pm

it is heart touching. a shame for those who kill innocent.

Comment by Abhinav Arun on December 20, 2010 at 3:21pm

dhanyavaad anupama jee !!!

Comment by Anupama on December 20, 2010 at 2:31pm

marmsparshi rachna!!!

Comment by Abhinav Arun on December 20, 2010 at 2:12pm

dr sanjay sir thanks a lot !!! your appreciation will courage me to deliver best !!!

Comment by Dr. Sanjay dani on December 19, 2010 at 11:58am

इंसानी ज़ेहन को कुरेदती मर्म स्पर्शी  अभिव्यक्ति,

Comment by Abhinav Arun on December 17, 2010 at 3:16pm

aashish jee dhanyavaad |laut aaye aap aap kee kamee khal rahee thee .

Comment by आशीष यादव on December 17, 2010 at 10:18am
behad marm sparshi kawita hai sir, raakesh sir ne sahi kaha ki bhitar tk chot karti hai.
Comment by Abhinav Arun on December 14, 2010 at 8:46am

आभार भाई राकेश जी |साहित्य समय सापेक्ष हो तभी सार्थक है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
10 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
" आदरणीय सुशील सरना जी सादर, जीवन के सत्य पर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service