For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल लिखने का प्रयास

तसव्वुर जिसका देखा मैंने, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥
रात पूनम, महताब जैसी, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥

ऐसी ज़ुल्फ़ की छांव जैसे, घटा हों काली बादल की,
छांव में जिसकी मिलता सुकून, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥

तेरी चंचल, शोख़ अदाएँ, चाल जैसे मृगनयनी सी,
देख पवन जिसे रुक न पाए, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥

कद काठी काया अनमोल, हुश्न-ए-नूर जैसे ख़ुदा की,
सूरज जैसे निकले सहर में, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥

हुश्न की मल्लिका तुम्हें शुक्रिया, ज़िन्दगी में आने का,
जन्नत ज़मीं पे मिली 'अभी' को, हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो॥

"मौलिक व अप्रकाशित"
छाया चित्र : गूगल

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 11, 2013 at 10:26am
आदरणीय डॉ प्राची जी और आदरणीय भाई साहब केसरी जी,
सादर आभार, हौसला अफ़जाई के लिए।

जी, आप सबने ठीक कहा है, मैं अब ग़ज़ल के लिंक्स का अध्यन कर रहा हूँ।

सादर आभार

Comment by वीनस केसरी on July 11, 2013 at 1:41am

सुन्दर प्रयास है अभिषेक जी
ग़ज़ल के आधार तत्वों में से रदीफ़ को आपने खूब अच्छे से निभाया है इसके लिए बधाई स्वीकारें ...

अन्य तत्वों को निभाने में चूक हुई है इस पर पुनः गौर करें तो निः संदेह अच्छी ग़ज़ल हो सकती है 
शुभकामनाएं


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 10, 2013 at 10:57pm

बहुत कोमल भाव और सुन्दर प्रस्तुति आ० अभिषेक जी 

पर यह रचना गज़ल नहीं है...

हर पेज को स्क्रॉल करके सबसे नीचे जाइए वहाँ गज़ल सीखने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण लिंक्स दिए हुए हैं, उन्हें पढ़िए और गज़ल प्रयास कीजिये 

शुभकामनाएं 

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 10, 2013 at 6:40pm

आदरणीय सौरभ सर,

एक नज़र इसपे भी डालियेगा, क्या ये सही है ?


इश्क़ में जीत और हार, नहीं होता।
ये इबादत, जाय़ा य़ार, नहीं होता।

काम में ईमानदारी, बर्ती जाए, तो,
कोई काम नाक़ाम य़ार, नहीं होता।

एहतियात के साथ आगे बढ़ता चल,
कोई भी दौर कठिन य़ार, नहीं होता।

ओह! वो अपने को इंसां कहता है !
सियासत में इंसां य़ार, नहीं होता।

'अभी' कहता है, कोई भी बात दिल से,
मान कहना, नुकसाँ य़ार, नहीं होता।
________-अभिषेक कुमार झा ''अभी''

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 10, 2013 at 6:35pm
आदरणीय सौरभ सर,
क्षमा प्रार्थी हूँ, आगे से इस तरह की प्रस्तुत नहीं करूँगा।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2013 at 6:15pm

ग़ज़ल पर आपके प्रयास के प्रति शुभकामनाएँ.

आप इस प्रस्तुति के पूर्व इसी मंच पर उपलब्ध ग़ज़ल से सम्बन्धित साहित्य पढ़ लेते तो ग़ज़ल की विधा के मूल विन्दु आपको स्पष्ट हो जाते. फिर आपसे वो गलतियाँ न होतीं जो आपकी इस प्रस्तुति को ग़ज़ल होने से ही ख़ारिज़ कर देती हैं.

यह अवश्य है भाई, कि आपकी कोशिश ही आने वाले समय में आपकी रचनाओं को स्वीकार्य और पठनीय बनायेगी. 

शुभेच्छाएँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service