For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब तू था तो सूनापन नही था

इच्छा थी पर अरमान नही था 

अश्कों में भिगो लिया दामन मैंने 

प्यासी रहूंगी फिर भी सोचा नही था...

तेरी यादों से दिन बनते थे 

और जुदाई से काली रातें

तेरे प्यार से ज़िन्दगी बनी थी

और बेवफाई से उखड़ी सांसे...

तेरे गम से मेरा गम जुदा कब था

तू नही समझा बस यही गम था

छीन लिया समय से पहले रब ने

जुदाई का गम क्या पहले कम था...

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 4, 2013 at 8:51pm
Swagat Hai Aarti Ji..
Comment by Aarti Sharma on July 4, 2013 at 8:38pm

आपका तहेदिल से शुक्रिया अभिषेक जी..

Comment by Abhishek Kumar Jha Abhi on July 4, 2013 at 11:41am

बहुत सुन्दर जज़्बात

Comment by Aarti Sharma on July 2, 2013 at 9:58am

प्रिय प्राची जी अपनी शुभकामनाओ के साथ इसी तरह मेरा  होसला बडाते रहिये ..धन्यवाद 

Comment by Aarti Sharma on July 2, 2013 at 9:56am

आदरणीय सौरभ सर और विजय भाई रचना सराहने क लिए आपका  तहेदिल से धन्यवाद ..आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 2, 2013 at 7:47am

मन के एकाकीपन  की पीड़ा को और सान्द्रता देते भावों की अभिव्यक्ति 

शुभकामनाएं 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 2, 2013 at 6:39am

भाव विशेष को प्रस्तुत करता प्रयास.. . बधाई.

Comment by vijay nikore on July 2, 2013 at 4:52am

आदरणीया आरती जी:

 

//तेरे गम से मेरा गम जुदा कब था

  तू नही समझा बस यही गम था

  छीन लिया समय से पहले रब ने

  जुदाई का गम क्या पहले कम था...//

जुदाई का दर्द एक रहस्य बन कर रह जाता है ...

जीवन के इस गूढ़ रहस्य की भावना को आपने
कितने सुन्दर तरीके से वर्णित किया है
!

आपको बधाई।

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

Comment by Aarti Sharma on July 1, 2013 at 10:32pm

आपका हार्दिक धन्यवाद आदरणीय पाठक जी ओर जितेंदर जी..आभार 

Comment by ram shiromani pathak on July 1, 2013 at 7:22pm

वाह आदरणीया आरती जी बहुत ही सुन्दर मनोभाव ///  क्या कहने //हार्दिक बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service