For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आल्हा छंद - प्रथम प्रयास

गड़ गड़ करता बादल गर्जा, कड़की बिजली टूटी गाज
सन सन करती चली हवाएं, कुदरत हो बैठी नाराज
पलक झपकते प्रलय हो गई, उजड़े लाखों घर परिवार
पल में साँसे रुकी हजारों, सह ना पाया कोई वार

डगमग डगमग डोली धरती, अम्बर से आई बरसात
घना अँधेरा छाया क्षण में, दिन आभासित होता रात
आनन फानन में उठ नदियाँ, भरकर दौड़ीं जल भण्डार

इस भारी विपदा के केवल, हम सब मानव जिम्मेदार

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 810

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 4:59pm

आदरणीय गुरुदेव श्री अभी अभी अइसन आभास हुआ कि आपने याद किया है अउर हम ऑनलाइन आये तो आपकी टिपण्णी मिल गई, ई सचमुच मा आपने याद किया हुआ है. गुरुदेव श्री आपने बताया तो था "ई प्रलयवा आता है" . यदि आप कन्फुजियाई जांयेंगे तो हमरा का होगा.

एक तो इस बार ये "मिसरा" साहब परेशान किये हैं कछू समझ नहीं आवत बा गुरुदेव श्री.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 27, 2013 at 4:48pm

ए अरुन अनन्त भाई,   ई प्रलयवा आता है कि आती है, जी ????????

हम सचकी पूरा कन्फ़ुजिया गये हैं.. सच्ची-मुच्ची..  

भइया, बिहार राज्य का हवा भी अइसने होता है. तिसपर पटना तो राजधानी है.. :-))

अच्छा हुआ तीने दिन में हम निकल लिये गनेस भाई का लिट्टी-चोखा खा के.. .. :-))))))))))))

जय हो

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 27, 2013 at 12:06pm

अनेक अनेक धन्यवाद आदरणीय गुरुदेव श्री आपका आशीष यूँ ही मिलता रहा तो वीर छंद की अन्यान्य विशेषतताओं को भी हृदयंगम करने का प्रयास अवश्य करूँगा और आपके मुख से वाह वाही भी बटोर लूँगा. पुनः हार्दिक आभार आपका.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 6:15pm

वीर छंद पर हुए इस प्रथम प्रयास केलिए बधाई.

वीर छंद की अन्यान्य विशेषतताओं को भी हृदयंगम करने का प्रयास करें

शुभम्

प्रलय होती नहीं भाई,  प्रलय होता है. यदि मैं गलत होऊँ तो बताइयेगा.

सधन्यवाद

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2013 at 3:16pm

हादिक आभार अनुज

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2013 at 3:16pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया सरिता जी

Comment by अरुन 'अनन्त' on June 26, 2013 at 3:16pm

हार्दिक आभार आदरणीया महिमा श्री जी

Comment by ram shiromani pathak on June 26, 2013 at 12:23pm

वाह भाई साहब क्या खूब सजीव चित्रण किया है अपने //इस मार्मिक वीर छंद के लिए हार्दिक बधाई आपको //सादर 

Comment by Sarita Bhatia on June 26, 2013 at 10:44am

प्रथम प्रयास सराहनीय है अरुण 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by MAHIMA SHREE on June 25, 2013 at 11:37pm

बहुत ही सुंदर प्रस्तुती आदरणीय अनंत जी .भाव बड़े ही स्पष्ट हैं .. बहुत-२ बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
12 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
16 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
22 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
22 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
23 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service