For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो दिखे ही नहीं इन दिनों 

दूज का चन्द्रमा हो गए 

इतने बीमार हम भी नहीं 

अपनी खुद ही दवा हो गए 

हैं सु-फल आपकी दृष्टि के 

क्या थे हम और क्या हो गए 

लोग सुनते हैं अब शौक से 

अपने चर्चे कथा हो गए 

कल की किलकारियां याद हैं 

दर्द देखो युवा हो गए 

खेल कर के कहीं रख दिया 

यार,हम झुनझुना हो गए 

अक्स चेहरे का आँखों में है 

हम स्वयं आइना हो गए 
____________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on June 19, 2013 at 9:47am

वाह वा 

शानदार गीतिका के लिए ढेरो ढेर बधाई ....

Comment by राजेश 'मृदु' on June 17, 2013 at 1:24pm

क्‍या कहने, आपको आपके ही रंग में पढ़ना एक पुरस्‍कार से कम नहीं है, सादर

Comment by विजय मिश्र on June 17, 2013 at 12:56pm
सुन्दर कविता के लिए बधाई .
Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 15, 2013 at 11:21pm

सभी मित्रों सर्वश्री D P Mathur ji,Ram Shiromani Pathak ji,Shyam Narayan Varma ji,Sumit Naithani ji,Kewal Prasad ji,Jitendra Parsariyaa ji ,SUSHREE Coontee Mukerji ji,Meena Pathak ji,Vijayashree ji के सराहना के शब्दों का स्नेहिल आभार !

Comment by D P Mathur on June 15, 2013 at 7:58pm

खेल कर के कहीं रख दिया
यार, हम झुनझुना हो गए !

आपकी इस प्यारी रचना के
पढ़कर हम फैन हो गये !
डी पी माथुर

Comment by ram shiromani pathak on June 15, 2013 at 7:18pm

आदरणीया विश्वम्भर सर जी बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है अपने //हार्दिक बधाई

Comment by coontee mukerji on June 15, 2013 at 6:41pm

बहुत सुंदर रचना ......सादर / कुंती.

Comment by Meena Pathak on June 15, 2013 at 6:34pm

खेल कर के कहीं रख दिया 

यार,हम झुनझुना हो गए 

बहुत सुन्दर ... बधाई 

Comment by vijayashree on June 15, 2013 at 6:23pm

...हम झुनझुना हो गए

 अति सुंदर भाव / हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by Shyam Narain Verma on June 15, 2013 at 12:47pm

आदरणीय...उम्दा रचना के लिए शुभकामनाऐं.......................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service