For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज फिर बरसे हैं
बादल जोर से.
मन बहकने सा लगा है ...!!
 
धुल गए पत्ते सभी
लग रहे सब ही नए ,
छू गई हौले से फिर ,
खुशबू कोई,
मन महकने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से.
 
इक घटा है घोर काली 
लड़ रही है पास वाली ,
प्रीत की,लगतीं पुजारन
बिजलियाँ,
मन दहकने सा लगा है ...!!
आज फोर बरसे हैं बादल जोर से.
 
सांवली सी हो गई हूँ
और चंचल हो गई हूँ,
गा रही हूँ,
गीत तेरी याद में ,
मन तड़पने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से

     ~.भावना.~
मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by coontee mukerji on June 8, 2013 at 10:17am

बहुत सुंदर भावना जी.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 8, 2013 at 10:15am

सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई भावना तिवारी जी 

Comment by Pankaj Trivedi on June 7, 2013 at 6:36pm

सुन्दर मनोंभाव से सजे इस गीत के लिए बधाई

Comment by राजेश 'मृदु' on June 7, 2013 at 6:01pm

इस मुकम्‍मल गीत के लिए आपको मेरी तरफ से बधाई

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 7, 2013 at 4:50pm

भाव सुन्दर भावना जी 

Comment by बृजेश नीरज on June 7, 2013 at 3:19pm

आदरणीया बहुत सुंदर कथ्य है। आपने कहा कि यह गीत है तो जरा मुझे इस गीत के शिल्प पर मार्गदर्शन प्रदान करने की कृपा करें। मुझे तो हर बंद में मात्रायें समान नहीं दिखतीं।
सादर!

Comment by ram shiromani pathak on June 7, 2013 at 2:34pm

 भावना जी इस सुन्दर गीत के लिए बधाई////"आज फोर बरसे हैं बादल जोर से"अंडरलाइन टंकण अशुद्धि को इंगित कराने के लिए है !!प्रयासरत रहिये शुभ शुभ///

Comment by वेदिका on June 7, 2013 at 2:22pm
सुंदर गीत ...बारिश की फुहारों में भीगे भीगे बोल ...अनुपम 
गा रही हूँ,
गीत तेरी याद में ,
मन तड़पने सा लगा है...!!
आज फिर बरसे हैं बादल जोर से

 

Comment by D P Mathur on June 7, 2013 at 12:57pm

आज फिर बरसे हैं ,बादल जोर से ,
मन बहकने सा लगा है,
मात्र इंसानों के ही नही ,
सभी सजीवों के मन को हर्षित करने लगा है !
बरखा के प्रथम आगमन के साथ आपकी इस रचना का स्वागत !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 7, 2013 at 12:02pm
आदरणीया.."गीत तेरी याद में, मन तड़पने सा लगा है...!! आज फिर बरसे बादल जोर से" सुंदर रचना..सरल शब्दों में..,शुभकामनाऐं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय विमलेश वामनकर साहब,  आपके गीत का मुखड़ा या कहूँ, स्थायी मुझे स्पष्ट नहीं हो सका,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय, दयावान मेठानी , गीत,  आपकी रचना नहीं हो पाई, किन्तु माँ के प्रति आपके सुन्दर भाव जरूर…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service