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"प्रकृति क्रीडा "

अडिग खड़ा है
चिर स्थिर
पुष्प से लदा
धरा से आलिंगन करता
तरुवर की निः स्वार्थ सेवा
सम भाव
वाह!

 
सब को देखने दो कुछ क्षण
रजत जड़ी ओस की डाल
चंचल है
हिला देती है बयार
तुम भी आओ मधुप
प्रतीक्षारत है कली
मृदुल होंठो के मकरंद पी लो

 

अरे ! ये क्या ?
मेघ भी उतर रहे हैं
हँसते हुए
शांत सरोवर
सरिता
बूदों संग मिलकर
अद्भुत संगीत सुनायेंगे

 

दादुर की व्याकुलता तो देखो
अभी से टर्र-टर्र करने लगा है
अत्यंत प्रसन्न हूँ

 
मेघ तेरे आगमन के साथ
वातावरण क्या हो जाता है !

***********************************

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 715

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Comment by ram shiromani pathak on June 7, 2013 at 12:29am

हार्दिक आभार आदरणीया नूतन जी ///सादर

Comment by डॉ नूतन डिमरी गैरोला on June 6, 2013 at 3:48pm

अति सुन्दर वर्णन प्रकृति की कमनीयता  का मेघ के आगमन पर .. 

Comment by ram shiromani pathak on June 6, 2013 at 9:10am

प्रणाम सहित हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी ///ऐसे ही स्नेह बनाए रखे ////सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 6, 2013 at 7:33am

इस कमनीय रचना का अल्हड़पन मोह गया.. .

बधाई.. .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 6, 2013 at 12:33am
"आभार आपका " आदरणीय ऱाम शिरोमणी जी, शुभकामनाऐं स्वीकार कीजीये
Comment by ram shiromani pathak on June 5, 2013 at 11:19pm

हार्दिक  आभार आदरणीय भाई संदीप जी ///सादर

Comment by ram shiromani pathak on June 5, 2013 at 11:18pm

हार्दिक  आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी///

Comment by ram shiromani pathak on June 5, 2013 at 11:15pm

हार्दिक  आभार आदरणीया कुन्ती जी ///ऐसे ही अनुज पर स्नेह बनाए रखे //सादर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 5, 2013 at 9:28pm

बहुत सुन्दर भाव आदरणीय राम भाई बधाई हो आपको 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 5, 2013 at 7:47pm
आदरणीय..राम शिरोमणी जी, बहुत ही खूब सूरत रचना , हार्दिक बधाईयां

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