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जाओ तुमको तुम्हारे हाल पे

मेने छोड़ दिया

तुमको इससे ज्यादा में और

दे भी क्या सकता था ...

देखो इस सूखे दरख्त को जिसने

बहुत फल खिलाये थे .. पर…

आज यहाँ परिंदा भी अपना

घोसला नहीं बनाता ..

ये खड़ा है .. और कल शायद नहीं रहेगा ...

लोग गुजर रहे हैं .. और गुजरते रहेंगे भी ..

ये दौरे सफ़र है .. आज मेरा है ...

कल तेरा भी होगा . .. ..

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment

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Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 12, 2013 at 6:07am

अंतिम सच्चाई! सबका वही हाल होना है! यह जिंदगी तो एक खिलौना है!

Comment by बृजेश नीरज on May 11, 2013 at 12:38pm

वाह! बहुत ही सुन्दर! कितनी तारीफ की जाए। बधाई!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 6:08pm

ये दौरे सफ़र है .. आज मेरा है ...

कल तेरा भी होगा . .. ..

 सुन्दर अभिव्यक्ति 

सादर बधाई 

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 9, 2013 at 11:55pm

सुन्दर रचना 

Comment by coontee mukerji on May 9, 2013 at 11:17pm

प्रयास अच्छा है , थोड़ी अभिव्यक्ति की कमी है .सादर / कुंती

Comment by seema agrawal on May 9, 2013 at 2:27pm

जीवन यात्रा के  अंतिम पड़ाव पर बैठे शब्द यूं ही कुछ कहेंगे 

ये दौरे सफ़र है .. आज मेरा है ...
कल तेरा भी होगा . .. .....सही कहा आपने 

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