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मई महीने के दूसरे रविवार को 

"मातृ दिवस"

नाया जाता है

बस एक दिन.....
माँ का सम्मान किया जाता है
क्या माँ..........

वो इसी एक दिन....... 

के लिये होती है

बाकी के....

तीन सौ चौंसठ दिन

वो शायद 

चाकरी करती है....

अपने बच्चों की...

अपने पति की..

िःस्वार्थ भावना लिये

और देर रात...

दुबक जाती है...

घर के किस कोने में

और संचय करती है

बल...
आने वाले कल के लिये 

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by vijay nikore on May 6, 2013 at 12:37pm

आदरणीया यशोदा जी:

 

भावयुक्त रचना के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by coontee mukerji on May 6, 2013 at 12:16pm

बहुत सुंदर ......

तीन सौ चौंसठ दिन

वो शायद 

चाकरी करती है....

अपने बच्चों की...

अपने पति की..

िःस्वार्थ भावना लिये

और देर रात...

दुबक जाती है...

घर के किस कोने में

और संचय करती है

बल...
आने वाले कल के लिये .....कितना मार्मिक कितना सत्य .सादर / कुंती

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2013 at 12:11pm

nahi maa sada ke liye hoti hae 

divas unke liye hota hae 

jinkii raaten kaali hoti haen 

yaad unhe bhii aa jaye ki 

tum bin nahi maa ke ho 

bhart maata bhi maa hae 

uskii ore jara dekho 

jay ho maa ji ki 

vande matram 

bhav poorn rachna hetu saadar badhai 

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