For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोड़ आए गाँव में वो, ज़िंदगानी याद है।

सौंपकर पुरखे गए जो, वो निशानी याद है।

 

गाँव था सारा हमारा, ज्यों गुलों का इक चमन,

शीत, गर्मी, बारिशों की, ऋतु सुहानी याद है।

 

एक हो खाना खिलाना, रूठ जाने की अदा,

फिर मनाने मानने की, वो कहानी याद है।

 

छुप-छुपाते, खिलखिलाते, हँस हँसाते रात दिन,

फूल, बगिया, बेल-चम्पा, रात रानी याद है।

 

मुँह अँधेरे, त्याग बिस्तर, भागना भूले कहाँ?

हाथ में माँ से मिली, गुड़ और धानी याद है।

 

ज्ञान गुण के बोध का, कितना सुखद अहसास वो,

जो बुजुर्गों ने हमें दी, सीख वानी याद है।

 

आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

कल्पना रामानी

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anurag Singh "rishi" on June 1, 2013 at 7:07pm

वाह बेहद सुन्दर गजल हेतु बधाई

आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।

Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2013 at 6:50pm

आदरणीय प्रदीप जी, रचना तक आने और सराहने के लिए  हार्दिक आभार

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 4:49pm

छोड़ आये हम वो गलियां 

वाह याद दिला दी 

बधाई 

आदरणीया सादर 

Comment by कल्पना रामानी on April 25, 2013 at 10:08pm

आदरणीय वीनस केसरी जी, हार्दिक आभार....

Comment by वीनस केसरी on April 24, 2013 at 11:58pm

बहुत खूब

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 7:06pm

आदरणीय सौरभ जी, आपकी टिप्पणी से हार्दिक प्रसन्नता हुई, बहुत बहुत धन्यवाद आपका...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 24, 2013 at 6:57pm

गाँव की यादों के गिर्द अच्छी मुसलसल ग़ज़ल हुई आदरणीया कल्पना रमानी जी.  हर शेर में माज़ी उपट कर बाहर आता है. बहुत ही अच्छा प्रयास हुआ है. एक बहुत भली ग़ज़ल के लिए मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 1:22pm

आदरणीय अरुण जी, साराहना के लिए हृदय से आभार...

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 24, 2013 at 11:27am

आदरणीया कल्पना जी सादर वाह शानदार अशआरों से सुन्दर खूबसूरत ग़ज़ल हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें. खास कर इन अशआरों के लिए कुछ ज्यादा ही दाद कुबूल फरमाएं.

छुप-छुपाते, खिलखिलाते, हँस हँसाते रात दिन,

फूल, बगिया, बेल-चम्पा, रात रानी याद है।

आ गया उस गाँव में, झोंका अचानक लोभ का,

जब शहर ने छीन ली, हमसे जवानी याद है।

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 9:52am

आदरणीय अशोक जी, रचना को अपना स्नेह प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service